आंखों का हेल्दी रहना बहुत जरूरी है. इसके बिना आप अंधेरे के अलावा कुछ और नहीं देख सकते हैं. ऐसे में आप आंखों के लिए क्या इस्तेमाल कर रहे हैं, इसे लेकर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि आज कल खूबसूरत दिखने के लिए आंखों के साथ भी कई तरह के एक्सपेरिमेंट्स किए जाने लगे हैं. लेकिन ऐसा करना आंखों के लिए अच्छा नहीं होता है. हाल ही में इसका शिकार टीवी एक्ट्रेस जैस्मिन भसीन भी हो चुकी हैं. लेंस लगाने से उनके आंखों की कॉर्निया डैमेज हो गयी है, जिसके कारण उन्हे बहुत दर्द से गुजरना पड़ रहा है. 


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यहां आप डॉ. हर्षवर्धन घोरपड़े, कॉर्निया, मोतियाबिंद और अपवर्तक सर्जन, फोर्टी हीरानंदानी अस्पताल, वाशी से जान सकते हैं कि आंखों के लिए लेंस और चश्मा में से क्या ज्यादा बेहतर होता है. ध्यान रखें आंखों के साथ कुछ भी करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. क्योंकि डॉक्टर मरीज की उम्र, उनकी जरूरतों और काम करने के वातावरण के हिसाब से चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस की सलाह देते हैं.

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कॉन्टैक्ट लेंस के साथ ये सावधानी जरूरी

कॉन्टैक्ट लेंस को नियमित रूप से साफ करने की जरूरत होती है. साथ ही, इन्हें सोने से पहले निकालना और समय-समय पर बदलना भी जरूरी है. इन्हें दिन में एक निश्चित समय के लिए ही पहना जा सकता है. इससे आंखें सूखी भी रह सकती हैं, इसलिए वातानुकूलित वातावरण में लंबे समय तक स्क्रीन देखने वालों के लिए ये अच्छे नहीं हैं. चश्मे के विपरीत, कॉन्टैक्ट लेंस में एंटी-रिफ्लेक्टिव और ब्लू ब्लॉक कोटिंग नहीं होती है. ये उन बच्चों और निर्माण श्रमिकों के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं, जहां साफ-सफाई का ध्यान रखना मुश्किल हो सकता है. आंखों में किसी भी तरह का संक्रमण होने पर भी इन्हें नहीं पहना चाहिए.


कॉन्टैक्ट लेंस के फायदे

कॉन्टैक्ट लेंस के कुछ फायदे भी हैं. उदाहरण के लिए, कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से चेहरे पर चश्मा नहीं होता है, जिससे आपकी पसंद का चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती. साथ ही, टूटने या खोने का भी डर नहीं रहता. ये खासकर खिलाड़ियों के लिए ज्यादा सुविधाजनक होते हैं. जिन लोगों को रोजाना तेज धूप में निकलना पड़ता है, उनके लिए भी कॉन्टैक्ट लेंस फायदेमंद हो सकते हैं. इसके अलावा, रंगीन कॉन्टैक्ट लेंस भी उपलब्ध हैं, जो फैशन या फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के काम आ सकते हैं.


चश्मा पहनना आसान है

पहली बार आंखों की जांच कराने आने वाले मरीजों को डॉक्टर आमतौर पर चश्मा ही देते हैं. चश्मा लगाना आसान होता है और इन्हें बिना किसी परेशानी के लंबे समय तक पहना जा सकता है. बाद में मरीज को इसकी आदत हो जाने पर, उनकी उम्र, पेशे और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर कॉन्टैक्ट लेंस लेने की सलाह दे सकते हैं. 


क्या है ज्यादा बेस्ट 

एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आप सावधानी बरतते हैं और नियमित जांच करवाकर अपनी आंखों का ख्याल रखते हैं, तो कॉन्टैक्ट लेंस और चश्मा दोनों ही आपके लिए अच्छे विकल्प हैं. आप अपनी जरूरत के हिसाब से इन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं.

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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.