हाल ही में जारी हुए 'ग्लोबल फूड पॉलिसी रिपोर्ट 2024' में भारत के खानपान व्यवहार को लेकर चिंता जताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अनहेल्दी चीजों का सेवन तेजी से बढ़ रहा है, वहीं पौष्टिक डाइट का सेवन कम हो रहा है. यह स्थिति देश में कुपोषण के आंकड़ों को भी प्रभावित कर रही है.


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इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट (इफप्री) द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में 6 लाख से अधिक लोगों के डाइट डेटा का विश्लेषण किया गया. 10 साल तक इन लोगों के खानपान की आदतों को ट्रैक किया गया. रिपोर्ट में पाया गया कि:


* कम से कम 38% भारतीय अनहेल्दी फूड, जैसे तले हुए स्नैक्स और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं.
* केवल 28% भारतीय ही सभी पांच आवश्यक फूड ग्रुप का सेवन करते हैं, जिनमें कम से कम एक स्टार्चयुक्त भोजन, एक सब्जी, एक फल, एक दाल या बीज और एक पशु सोर्स से प्राप्त प्रोटीन शामिल है.
* प्रोसेस्ड फूड की खपत भारतीय खाद्य बजट के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर रही है.


रिपोर्ट के अनुसार, अनहेल्दी खानपान का सीधा संबंध कुपोषण से है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2011 में कुपोषण से ग्रस्त भारतीय आबादी 15.4% थी, जो 2021 में बढ़कर 16.6% हो गई है. वहीं, वयस्कों में अधिक वजन की समस्या भी बढ़ रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि वायु प्रदूषण के साथ-साथ अनहेल्दी खानपान भी मधुमेह जैसी बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है.


स्वस्थ खानपान को बढ़ावा देने की जरूरत


रिपोर्ट में भारत सरकार से स्वस्थ खानपान को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया गया है. इसमें शामिल हैं:


* सब्सिडी के माध्यम से पौष्टिक चीजों को अधिक किफायती बनाना.
* स्कूलों में मिड-डे मील कार्यक्रम को मजबूत करना ताकि बच्चों को पौष्टिक भोजन मिले.
* अनहेल्दी फूड पर ट्रैक्स लगाना.
* लोगों को हेल्दी खानपान के विकल्पों के बारे में जागरूक करना.


भारत में हेल्दी खानपान को बढ़ावा देना सिर्फ पर्सनल हेल्थ के लिए ही नहीं, बल्कि देश के आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है. अस्वस्थ खानपान से होने वाली बीमारियों के इलाज पर होने वाला खर्च कम होगा और लोग अधिक उत्पादक बन सकेंगे.