Happy Birthday Rahul Dravid: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ 51 साल के हो चुके हैं, उनका जन्म 11 जनवरी 1973 को इंदौर में हुआ था. 'द वॉल' के नाम से मशहूर द्रविड़ की जिंदगी किसी इंस्पिरेशन से कम नहीं है. उन्होंने अपने एटीट्यूड और लगन से इंटरनेशनल क्रिकेट मे बेशुमार कामयाबी हासिल की है. आइए जानते हैं कि हम उनकी जिंदगी से क्या प्रेरणा ले सकते हैं.


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राहुल द्रविड़ से सीखें जिंदगी के ये सबक

1. हार को स्वीकार करना
2007 के वनडे वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के खिलाफ टीम इंडिया अपना पहला मुकाबला हारने के बाद मायूस थी. इसके बावजूद भारतीय कप्तान ने हार को स्वीकार करते हुए मैच के हीरो तमीम इकबाल के पास गए और इस युवा खिलाड़ी को मुबारकबाद दी. भले ही हार की वजह से भारत को झटका लगा था, लेकिन राहुल ने कोई ऐसा रिएक्शन नहीं दिया जिससे उनके फैंस मायूस हो जाएं.


2. विवादों का डटकर सामना करना
राहुल द्रविड़ का करियर टीम इंडिया में काफी लंबे वक्त तक जारी रहा, इस दौरान उन्हें कई विवादों का सामना करना पड़ा, जिनमें शोएब अख्तर से झगड़ा, ग्रेग चैपल के कारण सौरव गांगुली से मतभेद, जिम्बाब्वे के खिलाफ 2004 में बॉल टेम्परिंग, बतौर कोच टीम इंडिया में हद से ज्यादा एक्सपेरिमेंट. इस परेशानियों का उन्होंने कभी भी लक्ष्य से भटकना नहीं सीखा, साथ ही इन विवादों का डटकर सामना किया.


3. टीम फर्स्ट
राहुल द्रविड़ ने हमेशा खुद से पहले टीम के बारे में सोचा, जब टीम इंडिया एक अदद विकेटकीपर-बल्लेबाज को लेकर स्ट्रगल कर रही थी, और उस दौर में एक के बाद एक एक्सपेरिमेंट फेल हो रहे थे, तब राहुल द्रविड़ ने विकेट के पीछे दस्ताने पहनने का रिस्क उठाया और टीम इंडिया को मुश्किल वक्त में मदद की.


4. हमेशा बेहतर करने की चाहत
राहुल द्रविड़ के क्रिकेट करियर में कई बार उतार-चढ़ाव आए लेकिन फिर भी उन्होंने लंबे वक्त तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला. इसकी वजह ये है कि वो हमेशा बेहतर करने की चाहत रखते थे, और इम्प्रूवमेंट के लिए कड़ी मेहनत करते थे, यही वजह है कि वो एक कामयाब बल्लेबाज के तौर पर रिटायर हुए.


5. मुश्किल हालात में शांत रहना
जिन लोगों ने राहुल द्रविड़ के क्रिकेट करियर को नजदीक से देखा है, वो इस बात को जरूर याद रखते हैं कि जब टीम इंडिया मुश्किल हालात में फंस जाती थी, तब वो कूल रहकर पिच पर टिक जाते थे और कई बार एटीट्यूड के दम पर उन्होंने भारत को हार से बचाया था.