Delhi-NCR Pollution: दिल्ली और आसपास के शहरों में गुरुवार की सुबह वातावरण में प्रदूषक तत्वों की एक मोटी परत फैल गई, जिससे प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक इस जहरीली हवा के संपर्क में रहने से स्वास्थ्य संबंधी कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता गुरुवार सुबह 'गंभीर' हो गई, क्योंकि शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 418 था.


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हालांकि बुधवार शाम तक, सफर के आंकड़ों के अनुसार, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक और भी खराब हो गया और बढ़कर 458 हो गया.  सफर के आंकड़ों के मुताबिक, पीएम 2.5 और पीएम 10 की सांद्रता क्रमश: 458 और 433 थी, दोनों एक ही गंभीर श्रेणी में थे. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा' माना जाता है, 51 से 100 तक 'संतोषजनक' 101- 200 'मध्यम', 201-300 'खराब' 301-400 'बहुत खराब' और 401-500 'गंभीर'.


गर्भवती महिलाओं पर क्या होगा असर


मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में वरिष्ठ सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पायल चौधरी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी गई है और एक्यूआई नीचे जा रहा है और बहुत खराब और कभी-कभी खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है.


डॉ. पायल चौधरी ने कहा, "पर्यावरण प्रदूषकों के संपर्क में आने से गर्भावस्था के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं. यह सहज गर्भपात, समय से पहले डिलिवरी के जोखिम को बढ़ाता है और तीसरी तिमाही में उजागर होने पर शिशु के मृत जन्म लेने के जोखिम को बढ़ा सकता है. पीएम 2.5 के संपर्क में और पीएम 10 के साथ-साथ कार्बन मोनोऑक्साइड और कुकिंग स्मोक वायु प्रदूषण के कारण गर्भावस्था के दौरान नुकसान के प्रमुख कारक हैं."


AIIMS के डॉक्टर ने दिए ये टिप्स


दिल्ली एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल साल्वे ने कहा कि इस तरह की जहरीली हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी समस्याओं के अलावा गंभीर कई समस्याएं हो सकती हैं.
डॉ. साल्वे ने कहा, 'सीओपीडी और अन्य सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को बाहर जाते समय एन 95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए.' उन्होंने बाहरी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने पर जोर देते हुए कहा कि रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक सभी को बाहर जाने से बचना चाहिए, क्योंकि इस अवधि के दौरान प्रदूषकों की सांद्रता का स्तर चरम पर रहता है. साल्वे ने कहा, 'संवेदनशील मुद्दों से पीड़ित लोगों के लिए भी इनडोर गतिविधियों को कम से कम रखना चाहिए.'


(इनपुट-IANS)


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