Realtionsh With In Laws: भारतीय समाज में शादी जिंदगी का एक अहम पड़ाव है, जिसमें परिवारों का एक-दूसरे के साथ जुड़ाव होता है.. लड़कियां अक्सर शादी के बाद ससुराल को अपना घर मानने लगती हैं, लेकिन लड़के को अपने सास-ससुर के घर को अपना समझने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि ऐसा क्यों होता है.  


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1. संस्कार और परंपराएं


भारतीय समाज में लड़कियों को ससुराल में जाने के बाद उसे अपनाने और नए रोल निभाने के लिए तैयार किया जाता है. बचपन से ही उन्हें सिखाया जाता है कि उन्हें अपने ससुराल के रीति-रिवाजों का पालन करना है. इसके उलट लड़कों को अपने माता-पिता के घर में ही रहने की आदत होती है. उनके लिए ससुराल में जाने का मतलब होता है अपने जीवन के एक बड़े बदलाव को स्वीकार करना, जो कई बार चुनौतीपूर्ण हो सकता है. समाज में घर जमाई को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता.


2. इमोशनल कनेक्ट


लड़कियों का अपने घर से अलग होकर नए घर में जाना एक इमोशनल जर्नी होती है. वो अक्सर अपने पति के परिवार से जुड़ने की कोशिश करती हैं और धीरे-धीरे ससुराल को अपना घर मानने लगती हैं. वहीं लड़के अपने माता-पिता के घर में जड़ें जमाए रखते हैं और ससुराल को अगल करके देखते हैं. यही वजह है कि ससुराल के साथ गहरे भावनात्मक संबंध नहीं बना पाते.


3. सामाजिक अपेक्षाएं


भारतीय समाज में लड़कों पर यह दबाव होता है कि वो परिवार का भरण-पोषण करें और अपने माता-पिता की देखभाल करें. इस वजह से लड़के अक्सर अपनी पत्नी के परिवार से दूर रह जाते हैं और उन्हें ससुराल को अपनाने में असहजता होती है. जबकि लड़कियों पर अपेक्षा होती है कि वो ससुराल को अपना घर बना लें.


4. टाइम सम्पेंड


लड़कियों को शादी के बाद पूरी जिंदगी ससुराल में ही बितानी पड़ती है और कभी-कभी मायके जाना होता है, इसलिए दुल्हन के पास नए घर को ही अपना घर मानने के अलावा कोई चारा नहीं होता. इसके उलट लड़कों को अपने ससुराल में काफी कम वक्त बिताते हैं. बहुत ही थोड़ा टाइम स्पेंड करने की वजह से उनके लिए इसे अपना घर मानना मुश्किल होता है.