बेटी के जन्म के साथ ही माता-पिता उसके शादी को लेकर चिंतित हो जाते हैं. लेकिन वास्तव में एक पेरेंट्स का काम सिर्फ शादी करवाकर बेटी को उसके ससुराल भेजना ही नहीं होता है. उसे नए जीवन के लिए तैयार करना भी होता है.


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कोई दोराय नहीं कि इसमें एक मां बहुत अहम रोल निभाती है. क्योंकि एक स्त्री ही दूसरी स्त्री को यह बता सकती है कि ससुराल में चीजों को कैसे हैंडल किया जाता है. ऐसे में आज हम यहां कुछ ऐसी चीजों को बता रहे हैं जिन्हें हर मां को अपनी बेटी की शादी से पहले उसे जरूर सीखानी चाहिए. ताकी उसे अपने नए परिवार में एडजस्ट करने में परेशानी ना हो.



सबको साथ लेकर चले

हर मां को अपनी बेटी को शादी से पहले यह जरूर सिखाना चाहिए कि जब एक घर को चलाने की अहम जिम्मेदारी हो तो सबको लेकर चलने की कोशिश करनी चाहिए. कोई भी फैसला करने से पहले अपनी खुशी के साथ बाकी घर वालों की खुशी का भी ध्यान रखें


हर बात को दिल पर ना लेना गलत

एक ही परिवार में कई तरह के लोग होते हैं. जहां कुछ आपके सपोर्ट में तो वहीं कुछ हमेशा खिलाफ रहते हैं. ऐसे में ससुराल भेजने से पहले हर मां के लिए बेटी को यह समझाना बहुत जरूरी होता है कि वह हर बात को दिल से ना लगाए किसी को अपना दुश्मन ना मानें.


समय के साथ चीजें बदलती हैं

शादी का शुरुआती साल हर लड़की के लिए मुश्किल होता है. इस दौरान ही सबसे  ज्यादा एडजस्टमेंट करना पड़ता है. इसलिए इसके लिए पहले से ही हर मां को अपनी बेटी को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए. उसे सिखाना चाहिए कि समय के साथ चीजें बदलती हैं. इसके लिए थोड़ा सब्र रखना जरूरी है.


आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं

किसी जगह एडजस्टमेंट करने का मतलब अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करना नहीं होता है. इसलिए जरूरी है कि एक मां अपनी बेटी को उसकी शादी से पहले उसे आत्मसम्मान की रक्षा करने का भी महत्व बताए.


माफी मांगना और देना दोनों जरूरी

चाहे माफी मांगनी हो या फिर देनी हो दोनों के लिए है दिल बड़ा होना चाहिए. यदि यह गुण एक लड़की में हो तो वह ससुराल में आसानी एडजस्ट हो सकती है. ऐसे में हर मां को अपनी बेटी को गलतियों को माफ करना सीखाना चाहिए.