`पापा मेरी जान` टेस्ट कैप मिलने के बाद सरफराज खान का अब्बू से गले लगना बहुत कुछ कहता है
Sarfaraz Khan Test Debut: सरफराज खान अगर आज इंटरनेशल क्रिकेट खेल पा रहे हैं तो इसके पीछे उनके पिता नौशाद खान की कड़ी मेहनत और कुर्बानियां शामिल हैं, तभी तो टेस्ट कैप मिलने के बाद सरफराज के पिता के आंखों में आंसू थे.
Sarfaraz Khan and Naushad Khan Emotional Relation: आपने हाल में ही एनिमल मूवी देखी होगी, जहां 'बिजी डैड' और 'ओवर अचैट्ड बेटे' के बीच टॉक्सिक रिलेशन को दिखाया गया है, लेकिन दूसरी तरफ क्रिकेटर सरफराज खान (Sarfaraz Khan) और उनके अब्बू नौशाद खान (Naushad Khan) का रिश्ता बिलकुल जुदा है. यहां प्यार, इमोशन, सम्मान, कुर्बानियां, मेहनत और ग्रैटिट्यूड सब कुछ है. यही वजह है कि राजकोट के निरंजन शाह स्टेडिम (Niranjan Shah Stadium ) में वो खास लम्हा सदियों तक याद किया जाएगा.
सरफराज को मिला कैप नंबर-311
भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरा टेस्ट मैच शुरू होने से पहले वो हुआ जिसका सरफराज खान और उनके पिता नौशाद साहब को बेसब्री से इंतजार था. भारतीय क्रिकेट दिग्गज अनिल कुंबले ने सरफराज को टेस्ट कैप नंबर 311 थमाते हुए कहा, "सरफू मुझे गर्व है तुम्हारे ऊपर और जिस तरह से तुम यहां तक पहुंचे हो, मुझे भरोसा है कि तुम्हारे पिता और परिवार को तुम्हारी कामयाबी पर बेहद फख्र होगा. मैं जानता हूं कि आपने बहुत मेहनत की है और इस दौरान आपको कई बार नाउम्मीद भी होना पड़ा है, लेकिन डोमेस्टिक सीजन में आपके रन मुबारकबाद के लायक हैं. मुझे भरोसा है कि आज का दिन बहुत यादगार होगा. भारत में तुमसे पहले सिर्फ 310 लोगों ने टेस्ट क्रिकेट खेला है. यह कैप आपके लिए है, ऑल द बेस्ट."
पापा नौशाद के आंखों में आए आंसू
अनिल कुंबले जब ये सब कह रहे थे, तब बाउंड्री के पार मौजूद सरफराज खान के पिता अब्बू नौशाद खान इमोशनल हो गए, उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन ये खुशी के थे. इसी दिन का ख्वाब उन्होंने अपने बेटे के लिए देखा था जो आज सच हुआ, लेकिन उन्हें पता है कि ये महज शुरुआत है, वो अपने बेटे को एक कामयाब इंटरनेशनल क्रिकेटर के तौर पर देखना चाहते हैं.
जादू की झप्पी
सरफराज को पहले तो उनके टीम मेंबर्स ने गले लगाकर मुबारकबाद दी, फिर तो तुरंत मैदान के छोर पर चले गए जहां उनके पिता और वाइफ मौजूद थे. सरफू ने दौड़कर अपने अब्बू को गले लगाया, वो जानते थे कि ये कामयाबी उनके अकेले की नहीं है. इस दिन को देखने के लिए पापा ने कितनी कुर्बानियां दी हैं, कितनी बार नाउम्मीद होना पड़ा है, कई बार खुद के एबिलिटी पर डाउट हुआ होगा, या फिर सेलेक्टर्स पर भी गुस्सा आया होगा कि घरेलू क्रिकेट में इतने रन बनाने के बाद भी टेस्ट क्रिकेट में मौका क्यों नहीं मिल रहा होगा.
उम्मीद नहीं छोड़नी है
हालांकि नौशाद खान ने पुराने गम को भुलाते हुए शानदार बात कही, "पहले मैं जब मैं बहुत मेहनत करता था तो ये सोचता था, जो मेरा ख्वाब है आंखों का हिस्सा क्यों नहीं होता? दिये हम भी जलाते हैं उजाला क्यों नहीं होता?, ये सोच थी पहले, लेकिन आज कैप मिलने के बाद मेरी सोच बदल गई, और तमाम बच्चों के लिए जो मेहनत करते हैं. उन्होंने आगे कहा, रात को वक्त दो गुजरने के लिए, सूरज अपने ही समय पर निकलेगा, जब उसका टाइम आएगा, जो समय आएगा, तभी वो काम होगा, अपना काम है मेहनत करना, सब्र करना, और हिम्मत नहीं छोड़ना बस.
कोच बनकर बेटे को निखारा
नौशाद खान सिर्फ सरफराज के पिता ही नहीं उनके क्रिकेट कोच भी हैं, वो समझते हैं कि ये कामयाबी रातोंरात नहीं मिली है, इसके लिए उन्होंने अपने बेटे पर काफी मेहनत की है, मुंबई रणजी टीम में लगातार खेलना आसान नहीं होता, यहां आपको टीम में बने रहने के लिए लागातार परफॉर्मेंस देनी होती है. सरफराज खान ने कई मैचों में शतक लगाकर क्रिकेट फैंस, मीडिया और सेलेक्टर्स का ध्यान खींचा था.
दोनों भाइयों ने किया कमाल
जब सरफराज खान बच्चे थे तब वो अपने छोटे भाई मुशीर खान और पिता नौशाद खान के साथ मुंबई के आजाद मैदान में जाते थे, लेकिन तब मुंबई मेट्रो के कंस्ट्रक्शन के कारण इस ग्राउंड पर खेल रुक गया था, फिर नौशाद ने अपने दोनों बेटे पर और ज्यादा फोकस करना शुरू कर दिया. और एक दिन सरफराज को रणजी ट्रॉफी में एंट्री मिली. फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. छोटे भाई मुशीर खान ने भी आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप में शानदार खेल दिखाया. एक पिता के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात आखिर और क्या हो सकती है. अब नौशाद अपने दोनों बेटे के नाम बेशुमार रिकॉर्ड देखना चाहते है.
राजकोट नहीं आना चाहते थे नौशाद
नौशाद खान ने बताया कि वो सूर्यकुमार यादव के मानाने पर मुंबई से राजकोट आए थे, उन्होंने कहा, "पहले मैंने सोचा कि मैं नहीं आउंगा क्योंकि इससे सरफराज पर थोड़ा प्रेशर आ जाएगा, साथ ही मुझे सर्दी भी लग गई थी, लेकिन सूर्य के मैसेज से मेरा दिल पिघल गया." सरफराज के पिता ने सूर्यकुमार का मैसेज पढ़कर सुनाया, "मैं आपके जज्बात समझ सकता हूं, लेकिन मेरा यकीन किजिए, जब मैंने टेस्ट डेब्यू किया था और कैप हासिल किया, तब मेरे पिता और मेरी मां ठीक मेरे पीछे खड़े थे, और वो लम्हा मेरे लिए खास था. ऐसा मौका हमेशा नहीं आता, इसलिए मैं आपको सलाह देता हूं कि आप वहां जरूर जाएं. इसके बाद नौशाद खान ने कहा, "सूर्य के इस मैसेज के बाद मैं खुद को यहां आने से रोक नहीं पाया. मैंने दवाई ली और यहां कल ही आ गया."