शरीर में दिखें ऐसे लक्षण, पक्का जान लीजिए हार्मोन्स का बिगड़ गया संतुलन
अगर आपको भूख में कमी, नींद ना आना और तनाव बढ़ना जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो इसका मतलब है कि आपका शरीर होर्मोनल इम्बैलेंस से गुजर रहा है. इसे ठीक करने के लिए अपनी दैनिक दिनचर्या में बदलाव करना बहुत जरूरी है.
नई दिल्ली: हार्मोन्स के संतुलन में थोड़ी सी भी गड़बड़ी का असर फौरन हमारी भूख, नींद और तनाव के स्तर पर दिखने लगता है. असंतुलन से अर्थ है कि शरीर में या तो कोई हार्मोन ज्यादा बनता है या फिर बहुत कम. इसे समय रहते ठीक करना जरूरी है. डॉक्टर्स कहते हैं कि शरीर में नजर आने वाले कुछ लक्षण हार्मोनल इम्बैलेंस के बारे में बताते हैं जिन्हें जानकर आप अपने शरीर में हो रहे बदलावों के बारे में जान सकते हैं.
क्या होते हैं हार्मोन्स?
हार्मोंस हमारी बॉडी में मौजूद कोशिकाओं और ग्रन्थियों में से निकलने वाले केमिकल्स होते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्से में मौजूद कोशिकाओं या ग्रन्थियों पर असर डालते हैं. इन हार्मोंस का सीधा असर हमारे मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम, रिप्रॉडक्टिव सिस्टम, शरीर के डिवेलपमेंट और मूड पर पड़ता है. जीवन के अलग-अलग चरणों जैसे प्रेग्नेंसी, पीरियड या मीनोपॉज से पहले तक शरीर में हार्मोन्स का लेवल अलग-अलग हो सकता है. कुछ दवाएं, इलाज या सेहत से जुड़ी समस्याएं भी शरीर में हार्मोन्स को प्रभावित कर सकती हैं.
हार्मोन में असंतुलन के लक्षण
अचानक वजन बढ़ना, कमर पर चर्बी बढ़ना.
हर समय थकान महसूस करना.
नींद कम आना या बिल्कुल नींद न आना.
गैस, कब्ज और बदहजमी होना.
तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन का बढ़ना.
बहुत पसीना आना, सेक्स की इच्छा में कमी.
बालों का झड़ना, असमय सफेद होना तथा दाढ़ी घनी ना आना इत्यादि.
ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा ठंड या गर्मी लगना.
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इन्फ्लेमेशन को न करें नजरअंदाज
कई साइकोलॉजिस्ट्स का मानना है कि हार्मोन से जुड़ी समस्या में इन्फ्लेमेशन (Inflammation) को नजरअंदाज करना बड़ी भूल है. यह आपके इम्यून सिस्टम के साथ खिलवाड़ करती है और शरीर में कोर्टिसोल लेवल (Cortisol Level) को बढ़ाने का काम करती है. बहुत ज्याद स्ट्रेस, खराब नींद, प्रोसेस्ड या शुगर फूड इस इन्फ्लेमेशन को बढ़ावा देने का काम करते हैं.
इनफ्लेमेशन पर ऐसे करें नियंत्रण
हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से बढ़ने वाली इन्फ्लेमेशन को रोकने के लिए नैचुरल डाइट, पर्याप्त नींद और खान-पान व नियमित एक्सरसाइज के लिए शेड्यूल तय करना बहुत जरूरी है. सूर्योदय के बाद नीली रोशनी को पूरी तरह ब्लॉक रखें. इससे शरीर में इन्फ्लेमेशन का स्तर कम करने वाले एंटीऑक्सीडेंट मेलाटोनिन का निर्माण होता है. साथ ही आप बेहतर नींद ले पाते हैं. तनाव मुक्त रहने और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए मेडिटेशन कीजिए. साथ ही शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए अच्छे से पानी पीजिए.
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क्या खाएं, क्या न खाएं?
चाय, कॉफी, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स इत्यादि के अधिक सेवन से महिलाओं की एड्रेनल ग्रंथि ज्यादा सक्रिय हो जाती है, जिससे हार्मोन्स का स्राव होने लगता है. जंक फूड व कुछ अन्य खाद्य पदार्थ, जिनमें कैलरी की मात्रा अधिक हो, से परहेज करना चाहिए. पोषक आहार लें ताकि शरीर को विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन आदि मिलते रहें. इसलिए.
आहार में ताजे फल व सब्जियों जैसे गाजर, ब्रोकोली और पत्तागोभी की मात्रा बढ़ा दें.
ग्रीन टी में थियानाइन प्राकृतिक तत्व पाया जाता है, जो हार्मोन्स को संतुलित रखता है.
ओट्स और दही को आहार में शामिल करें.
शरीर में पानी की कमी न होने दें.
सूरजमुखी के बीज, अंडे, सूखे मेवे और चिकन में ओमेगा 3 व 6 पाया जाता है, जो हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखते हैं.
नारियल पानी पिएं.
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