हम में से कई लोग समय की कमी के कारण नाश्ता छोड़ देते हैं. हालांकि नाश्ता सेहत के नजरिए बहुत जरूरी माना जाता है. हाल ही स्टडी में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि ब्रेकफास्ट नहीं करने वाले लोगों में डिमेंशिया का खतरा ज्यादा होता है. 


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डिमेंशिया ब्रेन से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट आती है, और याददाश्त, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि नाश्ता न करने से शरीर में तनाव बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.


नाश्ता छोड़ने से मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है?

हाल ही में प्रकाशित 'जर्नल ऑफ न्यूरो रेस्टोरेटोलॉजी' के एक अध्ययन में यह पाया गया कि सुबह का नाश्ता छोड़ना मस्तिष्क के लिए हानिकारक हो सकता है. शोधकर्ताओं ने इस विषय पर एक गहन अध्ययन किया, जिसमें यह पता चला कि नाश्ता न करने से तनाव का स्तर बढ़ता है और कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो पेट में चर्बी बढ़ाने के साथ-साथ मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है.

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ब्लड शुगर बढ़ जाता है

विशेषज्ञों के अनुसार, नाश्ता शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर करने में मदद करता है, जो मस्तिष्क के लिए आवश्यक है.  मुख्य ईधन ग्लूकोज है, और नाश्ता न करने से इसका स्तर घट सकता है, जिससे व्यक्ति को सोचने और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है. लंबे समय तक नाश्ता न करने से यह स्थिति गंभीर हो सकती है और मस्तिष्क में संरचनात्मक बदलाव भी हो सकते हैं. 


शोध में क्या पाया गया?

इस अध्ययन में 2015 से 2018 के बीच 20 साल और उससे ऊपर के अमेरिकियों पर डेटा एकत्र किया गया. इस दौरान, यह पाया गया कि लगभग 15 प्रतिशत लोग नियमित रूप से नाश्ता छोड़ते हैं, और इसका मुख्य कारण व्यस्तता, उपवास या वजन कम करने के प्रयास होते हैं. शोध में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया—एक समूह ने नाश्ता किया, जबकि दूसरे ने इसे छोड़ दिया.

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नाश्ता न करने के दुष्प्रभाव

नाश्ता न करने से केवल मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर ही प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि यह शरीर के अन्य अंगों पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है. यह आदत शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को गिरा सकती है, जिससे शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है. इसके अलावा, नाश्ता न करने से पेट में अधिक चर्बी जमा हो सकती है, जिससे मोटापे और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.

-एजेंसी-