आपने रात में अच्छी नींद ली या नहीं, चलने के तरीके से पता चलेगा! वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि सुबह की ताजगी और खिले चेहरे के साथ आपके चलने का ढंग बता देता है कि बीती रात आपने पर्याप्त नींद ली या नहीं.
जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि सुबह की ताजगी और खिले चेहरे के साथ आपके चलने का ढंग बता देता है कि बीती रात आपने पर्याप्त नींद ली या नहीं. शोधकर्ताओं का कहना है कि लोगों की चाल से उनकी अच्छी नींद का पता चलेगा. चलते समय यदि कूल्हे अधिक हिल रहे हैं और व्यक्ति झुका हुआ सा प्रतीत हो रहा है या फिर एक समान कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे तो समझ जाएं की रात को पर्याप्त नींद नहीं हुई है.
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोल मार्टिन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने 123 लोगों (औसतन 24 वर्ष) पर अध्ययन किया. 59 फीसदी अच्छी नींद लेने वाले युवा थे जबकि 41 फीसद ऐसे थे, जो किसी कारणवश अच्छी नींद नहीं ले पाते थे. इनके शरीर में मोशन सेंसर लगाकर दो मिनट के वॉक पर भेजा गया. सेंसर में जमा डाटा एआई लर्निंग एल्गोरिद्म को भेजा गया, जिसे पहले ही 100 विभिन्न चालों जैसे कूल्हे और रीढ़ की स्थिति और दोनों पैरों के बीच फासले के बारे में ट्रेन्ड किया जा चुका था.
एआई तकनीक ने क्या किया?
एआई ने वॉक पर जाने वाले प्रतिभागियों के उठे पहले कदम से ही पूरे वॉकिंग पैटर्न की पड़ताल कर ली. कम नींद लेने वाले लोगों की रीढ़ के निचले हिस्से कम कम घुमाव देखा गया, जिससे वे झुके हुए से मालूम पड़ते हैं. जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते गए चाल में और बदलाव दिखा जैसे उनके कूल्हे अधिक हिलते थे. मार्टिन ने कहा कि कुल मिलाकर वे एकसमान गति से वॉक नहीं कर सकते हैं.
इस अध्ययन से क्या होगा फायदा?
मार्टिन ने बताया इस अध्ययन का इस्तेमाल कर वैज्ञानिक ऐसी तकनीक विकसित कर सकते हैं जिससे इस बात की पहचान की जा सके कि व्यक्ति थका हुआ है या नहीं. विशेषकर खेल या इस तरह के अन्य पेशे में नींद की कमी और थके हुए इंसान से गलती और दुर्घटना होने की पूरी संभावना होती है.
अध्ययन में क्या पाया गया?
कम सोने वाले लोगों की सामान्य चाल में काफी बदलाव था, शुरुआत में उनके कदम थके से उठे रहे थे और पूरे समय उनकी गति भी धीमी थी. अध्ययन जर्नल स्लीप साइंस में प्रकाशित हुआ.
कितनी नींद जरूरी है?
- शिशु के लिए 12 से 15 घंटे
- नवजात के लिए 11 से 14 घंटे
- प्रीस्कूलर्स बच्चों के लिए 10 से 13 घंटे
- स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए दिन में कुल मिलाकर 9 से 11 घंटे
- बुजुर्गों के लिए 10 घंटे
- व्यस्क और किशोर के लिए कम से कम आठ घंटे