Explainer: बढ़ती उम्र की चिंता खत्म! जानिए क्या है एग फ्रीजिंग, जिससे कभी भी महिलाएं बन सकती हैं मां
हाल ही में, लोकप्रिय अभिनेत्री मृणाल ठाकुर ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह भी 31 साल की उम्र में एग फ्रीजिंग कराने पर विचार कर रही हैं. आइए इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानें.
बॉलीवुड की व्यस्त दुनिया में करियर और निजी जिंदगी के बीच बैलेंस बनाना अक्सर मुश्किल होता है. कई अभिनेत्रियां शादी और मातृत्व की उम्र को पार कर चुकी होती हैं, लेकिन मां बनने की ख्वाहिश उनके दिल में कहीं न कहीं दबी रहती है. ऐसे में मेडिकल साइंस उन्हें एक उम्मीद की किरण देता है- एग फ्रीजिंग.
हाल ही में, लोकप्रिय अभिनेत्री मृणाल ठाकुर ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह भी 31 साल की उम्र में एग फ्रीजिंग कराने पर विचार कर रही हैं. वह कहती हैं कि जीवन और करियर के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है, लेकिन आप हमेशा इस बैलेंस को कैसे स्थापित करें, इसका पता लगाने की कोशिश कर रहे होते हैं. मैं जानती हूं कि रिश्ते कठिन होते हैं, और इसलिए आपको एक ऐसा सही साथी खोजने की जरूरत है जो आपकी नौकरी की प्रकृति को समझे. आपको बता दें कि मृणाल ठाकुर से पहले मोना सिंह, तनिशा मुखर्जी और डियाना हेडन जैसी अभिनेत्रियाँ भी इस प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं.
एग फ्रीजिंग क्या है?
एग फ्रीजिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के अंडों (Eggs) को निकालकर उन्हें एक विशेष फ्रीजिंग तकनीक के द्वारा सुरक्षित कर लिया जाता है. इस प्रक्रिया को ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन (Oocyte Cryopreservation) भी कहा जाता है. बाद में जब महिला मां बनने का फैसला करती है, तो इन जमे हुए अंडों का इस्तेमाल आईवीएफ (In Vitro Fertilization) प्रक्रिया में किया जा सकता है.
एग फ्रीजिंग कराने की प्रक्रिया कैसी होती है?
एग फ्रीजिंग एक तीन से चार हफ्तों की प्रक्रिया है. इसमें कई चरण शामिल होते हैं:
- सबसे पहले, डॉक्टर से परामर्श किया जाता है. डॉक्टर महिला की सेहत का टेस्ट करते हैं और एग फ्रीजिंग प्रक्रिया के बारे में डिटेल जानकारी देते हैं.
- इसके बाद, महिला को कुछ हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं, जिससे अंडाशय (Ovaries) में एक से अधिक अंडों का विकास हो सके.
- दवाओं के कोर्स के पूरा होने के बाद, अंडाशय से मेच्योर अंडों को एक ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal Ultrasound) निर्देशित सुई की मदद से निकाला जाता है. यह प्रक्रिया आमतौर पर हल्के एनेस्थीसिया (Anesthesia) के तहत की जाती है.
- निकाले गए अंडों को एक विशेष क्रायोप्रोटेक्टेंट (Cryoprotectant) घोल में रखा जाता है. फिर उन्हें बहुत तेजी से बहुत कम तापमान पर जमा दिया जाता है, जिसे विट्रीफिकेशन कहते हैं. यह प्रक्रिया अंडों को नुकसान पहुंचने से बचाती है.
- जमे हुए अंड़ों को तरल नाइट्रोजन के टैंकों में -196 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सुरक्षित रूप से जमा कर दिया जाता है.
एग फ्रीजिंग क्यों करवाना जरूरी हो सकता है?
1. बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है. 35 साल की उम्र के बाद गर्भवती होने की संभावना काफी कम हो जाती है. एग फ्रीजिंग महिलाओं को कम उम्र में अपने हेल्दी अंडों को सुरक्षित करने की अनुमति देता है, जिसका उपयोग भविष्य में आईवीएफ के माध्यम से गर्भवती होने के लिए किया जा सकता है.
2. करियर की मांग: कई महिलाएं अपने करियर पर ध्यान देने के लिए मां बनने का सपना आगे के लिए टाल देती हैं. एग फ्रीजिंग उन्हें इस दौरान अपने बायोलॉजिकल घड़ी की चिंता किए बिना अपने करियर को आगे बढ़ाने का विकल्प देता है.
3. चिकित्सीय कारण: कुछ महिलाओं को कैंसर या अन्य चिकित्सीय स्थितियों के इलाज के कारण अपनी प्रजनन क्षमता खोने का खतरा होता है. एग फ्रीजिंग उन्हें उपचार से पहले अपने अंडों को सुरक्षित करने की अनुमति देता है.
4. अकेले मां बनने की इच्छा: कुछ महिलाएं शादी के बिना ही मां बनने का फैसला लेती हैं. एग फ्रीजिंग उन्हें यह स्वतंत्रता देता है कि वे जब चाहें स्पर्म डोनर की मदद से गर्भधारण कर सकें.
एग फ्रीजिंग के नुकसान
1. सफलता की कोई गारंटी नहीं: एग फ्रीजिंग की सफलता दर उम्र के साथ कम हो जाती है. 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में सफलता दर 60-70% तक हो सकती है, जबकि 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में यह 20-30% तक कम हो सकती है.
2. ज्यादा लागत: एग फ्रीजिंग एक महंगी प्रक्रिया हो सकती है. इसमें दवाओं, अंडा निकालने की प्रक्रिया और स्टोरेज शुल्क की लागत शामिल है.
3. फिजिकल और इमोशनल नुकसान: एग फ्रीजिंग में हार्मोनल दवाओं का उपयोग शामिल होता है, जिसके कारण मतली, सूजन, मूड स्विंग और वेजाइनल डिस्चार्ज जैसे साइड इफैक्ट्स हो सकते हैं.
4. प्रेग्नेंसी और जन्म संबंधी समस्याएं: अध्ययनों से पता चला है कि जमे हुए अंडों से गर्भवती होने वाली महिलाओं में गर्भपात, समय से पहले जन्म और कम जन्म भार सहित प्रेग्नेंसी और जन्म संबंधी समस्याओं का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है.