बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किसने किया? दिल्ली में छिड़ी एक अनोखी जंग!
बटर चिकन और दाल मखनी, दो ऐसे व्यंजन जो न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में लोकप्रिय हैं. लेकिन इन व्यंजनों के आविष्कार को लेकर दिल्ली में एक अनोखी जंग छिड़ गई है.
बटर चिकन और दाल मखनी, दो ऐसे व्यंजन जो न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में लोकप्रिय हैं. लेकिन इन व्यंजनों के आविष्कार को लेकर दिल्ली में एक अनोखी जंग छिड़ गई है. दो प्रतिष्ठित रेस्टोरेंट इन स्वादिष्ट व्यंजनों के आविष्कार का श्रेय अपने नाम दे रहे हैं. मामला इतना बढ़ गया है कि यह दिल्ली हाई कोर्ट तक पहुंच गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस अनोखी जंग में दो प्रमुख दो मशहूर रेस्टोरेंट चेन दावेदार हैं- मोती महल और दरियागंज. मोती महल दावा करता है कि 1947 में कुंदन लाल गुजराल ने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया था. वहीं, दरियागंज के रेस्टोरेंट का कहना है कि इन व्यंजनों का इतिहास 19वीं सदी का है और इनका संबंध पेशावर से है.
आविष्कार का दावा
मोती महल के अनुसार, कुंदन लाल गुजराल ने बटर चिकन का आविष्कार तब किया जब उन्होंने गलती से टिक्का मसाला में टमाटर और मक्खन मिला दिया. दाल मखनी के लिए, वे दावा करते हैं कि गुजराल ने इसे पहले से मौजूद दाल मखनी रेसिपी में कुछ बदलाव करके बनाया था. वहीं, दरियागंज के रेस्टोरेंट का कहना है कि बटर चिकन और दाल मखनी पेशावर से आए हैं और इनका इतिहास 19वीं सदी का है. वे दावा करते हैं कि गुजराल ने इन व्यंजनों को पेशावर से लाकर दिल्ली में लोकप्रिय बनाया था.
हाईकोर्ट पहुंचा दरियागंज
दरियागंज रेस्टोरेंट चेन ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. दरअसल, मोती महल के मालिकों ने एक इंटरव्यू में कथित रूप से 'अपमानजनक' टिप्पणी की थी, जिसका विरोध दरियागंज कर रहा है. मोती महल का दावा है कि उनके पूर्ववर्ती स्वर्गीय कुंदन लाल गुजराल ने बटर चिकन और दाल मखनी की रेसिपी बनाई थी, जबकि दरियागंज इन व्यंजनों की असली आविष्कार के बारे में 'लोगों को गुमराह' कर रहा है. वहीं, दरियागंज का कहना है कि वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित और फिर अन्य वेबसाइटों द्वारा प्रसारित इस लेख में दिए गए 'अपमानजनक' बयानों से उनके रेस्टोरेंट की प्रतिष्ठा पर काफी नेगेटिव प्रभाव पड़ा है.
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मोती महल ने दायर किया मुकदमा
इसी साल की शुरुआत में, मोती महल ने दरियागंज के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दरियागंज इन व्यंजनों का श्रेय ले रहा है और उनके साथ किसी संबंध होने का दावा कर रहा है. मोती महल के मालिकों ने दरियागंज के मालिकों को यह दावा करने से रोकने की मांग की है. साथ ही, वे यह भी नहीं चाहते कि दरियागंज अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 'बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारकों द्वारा' जैसा टैगलाइन इस्तेमाल करें.
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29 मई को होगी सुनवाई
हाई कोर्ट ने दरियागंज के मालिकों को मुकदमे के जवाब में लिखित बयान दाखिल करने के लिए कहा है. इस मामले की सुनवाई 29 मई को होगी. यह विवाद दिल्ली के खाने के शौकीनों के लिए चटपटी खबर जरूर है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट किसके पक्ष में फैसला सुनाएगा.