क्यों रोते हैं इंसान? क्या है आंसू का सच? जानें क्या कहता है साइंस
आंसू बहाना इंसान की जटिल भावनाओं और मस्तिष्क के कार्य का एक हिस्सा है. यह न केवल एक शारीरिक प्रतिक्रिया है, बल्कि यह हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है.
इंसान एकमात्र ऐसा प्राणी है जो आंसुओं से रोता है. जबकि अन्य जानवरों के आंखों से भी आंसू बहते हैं, ये आंसू आमतौर पर आंखों की सुरक्षा के लिए होते हैं, जैसे कि आंखों में किसी वस्तु का चले जाना. लेकिन इंसानों के आंसू अलग होते हैं, जो खासतौर पर भावनाओं से जुड़े होते हैं.
दुख, खुशी, गुस्सा, तनाव या हैरानी जैसी स्थितियों में इंसान रोता है. न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का मानना है कि भावनात्मक आंसू अन्य आंसुओं से बहुत अलग होते हैं, और इनका उत्पादन हमारे मस्तिष्क के जटिल तंत्र से जुड़ा हुआ है.
आंसुओं के प्रकार
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान के शरीर में तीन प्रकार के आंसू होते हैं. पहले दो, बासल और रिफ्लेक्स आंसू, सभी जीवों में पाए जाते हैं. बासल आंसू आंखों को गीला रखते हैं, जबकि रिफ्लेक्स आंसू बाहरी तत्वों, जैसे धूल या अन्य विदेशी कणों से आंखों की रक्षा करते हैं. लेकिन इंसानों में भावनात्मक आंसू भी रिलीज करते हैं. ये आंसू अन्य प्राणियों से बिल्कुल अलग होते हैं, और केवल इंसानों में पाए जाते हैं.
आंसू और मस्तिष्क का संबंध
वैज्ञानिकों का मानना है कि आंसू बहाने के लिए कोई एक खास मस्तिष्क क्षेत्र जिम्मेदार नहीं होता. यह स्थिति और भावना के आधार पर बदलती रहती है. जब हम दुख, खुशी या गुस्से जैसे जटिल एहसासों से गुजरते हैं, तो आंसू बहते हैं. उदाहरण के लिए, जब कोई इंसान अपने घर को याद करता है या किसी करीबी का निधन होता है, तो वह रोता है, और यह भावनात्मक आंसू होते हैं.
भावनात्मक आंसू के पीछे का कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, आंसू बहाने का एक और महत्वपूर्ण कारण है, 'सहानुभूति'. जब हम किसी अन्य व्यक्ति के दर्द या कठिनाई को महसूस करते हैं, तो हम उनके साथ जुड़कर रोते हैं. यह सहानुभूति आंसू हमें उनकी स्थिति में खुद को देख पाने की क्षमता से उत्पन्न होती है.
महिलाएं अधिक रोती हैं
वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि पुरुषों और महिलाओं के बीच आंसू बहाने की प्रवृत्ति में अंतर होता है. सामान्यतः महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक रोती हैं. इसका एक कारण यह हो सकता है कि समाज पुरुषों से भावनाओं को दबाने की अपेक्षा करता है. पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ने के साथ आंसू बहाने की प्रवृत्ति कम हो जाती है, जबकि महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने से यह प्रवृत्ति अधिक होती है.