Workplace Pressure: कई जमाने से मेंटल हेल्थ को टैबू माना जाता रहा है, खासकर वर्क प्लेस पर, बढ़ती जानकारी के बावजूद, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा कलंक अक्सर कर्मचारियों को वो मदद नहीं देता जिसकी उन्हें ज़रूरत होती है, जिससे स्ट्रेस और बर्नआउट बढ़ता है और प्रोडक्टिविटी कम होती है। हालांकि, एक बेहतर और प्रोडक्टिव वर्क एटमॉस्फेयर बनाने के लिए कलंक को दूर करना और मेंटल हेल्थ के बारे में खुलकर बातचीत को प्रोत्साहित करना जरूरी है.
 


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वर्कप्लेस में मेंटल हेल्थ लेकर बातचीत करना क्यों है जरूरी?


बहुत से लोग दफ्तर काफी ज़्यादा तनाव महसूस करते हैं, और इंटरपर्सनल रिलेशन, डेडलाइन और परफॉर्मेंस एक्सपेक्टेशन से जुड़ी समस्याएं मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स के फैक्टर्स हो सकते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) का अनुमान है कि डिप्रेशन और एंग्जाइटी के कारण वर्ल्ड इकॉनमी को सालाना 1 ट्रिलियन डॉलर की प्रोडक्टिविटी का नुकसान होता है. कर्मचारी अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने से भी कतराते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं उनको जज न किया जाए, भेदभाव का सामना न करना पड़े या वे अपनी नौकरी न खो दें.


मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को नज़रअंदाज़ करने से जॉब सटिस्फेक्शन कम सकती है और बर्नआउट हो सकता है. इसके उलट, जो ऑर्गेनाइजेशन मानसिक स्वास्थ्य को सक्रिय रूप से बढ़ावा देते हैं, उनमें कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ती है, काम का आउटपुट बेहतर होता है और रिटेंशन रेट ज्यादा होती है.



कर्मचारियों की मदद कैसे हो सकती है?


मेंटल हेल्थ एक्स्पर्ट शिवम दीक्षित के मुताबिक कंपनियों को ऐसे कल्चर को बढ़ावा देने की ज़रूरत है जहां न सिर्फ कैंडिड कम्यूनिकेशन का स्वागत किया जाए बल्कि वर्कप्लेस में मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों से जुड़े कलंक को मिटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. इस तरह की बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए कई बातों का ख्याल रखना होगा.



1. सिक्योर एनवायरनमेंट तैयार करें

जब कर्मचारी सहज और प्रोत्साहित महसूस करते हैं, तो वो अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं. एम्पलॉयर कर्मचारी की गोपनीयता की गारंटी देकर और आलोचना से मुक्त क्षेत्र प्रदान करके इस माहौल को बढ़ावा दे सकते हैं जहां कर्मचारी अपने अनुभवों के बारे में बात कर सकते हैं. एक जरूरी पहला कदम मैनेजर्स और एचआर स्टाफ को ये सिखाना है कि सहानुभूति के साथ ये बातचीत कैसे की जाए.



2. मेंट हेल्थ के बारे में बातचीत को नॉर्मल बनाएं


ओपन टॉक करना पहला कदम है. मैनेजर्स और ऑफिसर्स द्वारा मेंटन हेल्थ के बारे में ओपन कम्यूनिकेशन ये विचार व्यक्त करता है कि ये बातचीत सामान्य है और इसकी सराहना की जाती है.


3. मेंटल हेल्थ प्रोग्राम चलाएं


आप स्टाफ की मदद करने के लिए मेंटल हेल्थ प्रोग्राम चला सकते हैं, जैसे काउंसिलिंग, एम्पलॉई असिस्टेंस प्रोग्राम, मेंटल हेल्थ ट्रेनिंग. साथ ही मेंटल हेल्थ वर्कशॉप के जरिए भी कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखा जा सकता है.


4. वर्क लाइफ बैलेंस को प्रोत्साहित करें


मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए वर्क लाइफ बैलेंस बनाए रखना जरूरी है। कंपनियां ब्रेक और फलेक्सिबल वर्क शेड्यूल  को बढ़ावा देकर इसमें मदद कर सकती हैं. कर्मचारियों को काम और निजी जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने के लिए अपने शेड्यूल को अरेंज करने की इजाजत देकर तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है.


 


(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)