चुनावनामा 1989: पांच साल में देश की तीसरी सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी बनी बीजेपी
23 मई को लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने के बाद यह साफ हो पाएगा कि बीजेपी पांचवी बार केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब रहती है या कांग्रेस को देश की सत्ता का सिंघासन मिलता है.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में मतदाताओं को अपने पक्ष में लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक बार फिर केंद्र की सत्ता में वापसी की तैयारी में है. 39 साल के अपने राजनैतिक सफर में बीजेपी को 4 बार सरकार बनाने का मौका मिला. जिसमें बीजेपी की पहली सरकार महज 13 दिन और दूसरी सरकार 13 महीने चली. 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी की तीसरी बार सत्ता में वापसी हुई. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की यह सरकार 2004 तक चली. 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन की केंद्र की सरकार बनी. जिसमें डॉ मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए पर देश के मतदाताओं ने 2009 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भरोसा जताया. वहीं, 2014 में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार केंद्र में आई. अब देखना है कि 23 मई को लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने के बाद यह साफ हो पाएगा कि बीजेपी पांचवी बार केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब रहती है या कांग्रेस को देश की सत्ता का सिंघासन मिलता है.
1984 में पहला चुनाव लड़ बीजेपी ने जीती थीं महज दो संसदीय सीटें
आपातकाल के बाद 1977 में देश के आम चुनावों में जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हो गया था. 1977 का लोकसभा चुनाव जनसंघ ने नेशनल लोकदल के चुनाव चिन्ह 'हलधर किसान' पर चुनाव लड़ा था. हालांकि यह बात दीगर है कि 1980 आते-आते जनसंघ की विचारधारा रखने वाले नेताओं ने अपनी राह जनता पार्टी से अलग कर ली. जिसके बाद, श्यामा चरण मुखर्जी के सिद्धांतों को आदर्श मानकर अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की स्थापना की. बीजेपी ने अपना पहला चुनाव 1984 में लड़ा. इस चुनाव में बीजेपी ने अपने 224 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. जिसमें महज 2 उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. इस चुनाव में बीजेपी के 108 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. बीजेपी से पहली बार सांसद बनने वालों में आंध्र प्रदेश की हनामकोंडा संसदीय सीट से सीजे रेड्डी और गुजरात की मेहसाना संसदीय सीट से एके पटेल का नाम शामिल है. इस चुनाव में बीजेपी के संस्थापक सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर सीट से चुनाव में उतरे थे. जहां कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने उन्हें करीब दो लाख वोटों से हराया था.
1989 में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी
1984 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुत उत्साहजनक सफलता नहीं मिली थी. इस चुनाव में महज दो सीट मिलने के बावजूद बीजेपी ने अपना हौसला नहीं खोया. बीजेपी ने हिन्दी भाषा राज्यों को अपना आधार बनाकर लोगों से जुड़ना शुरू किया. बीजेपी की इस कवायद का असर 1989 के लोकसभा चुनाव में सामने आया. इस चुनाव में बीजेपी ने कुल 225 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिसमें 85 चुनाव जीतकर संसद पहुंचने में कामयाब रहे. 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ी सफलता गुजरात से मिली. बीजेपी ने गुजरात में 12 उम्मीदवार उतारे थे, ये सभी उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे. वहीं, बीजेपी ने 24 उम्मीदवार उतारे और 8 सीटें जीतीं, हिमाचल प्रदेश में चार में से तीन सीटें, मध्य प्रदेश की 33 में से 27, महाराष्ट्र की 33 में से दस, राजस्थान की 17 में से 13 और दिल्ली में पांच से चार सीटें जीतने में बीजेपी सफल रही. इस चुनाव में, बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में कुल 31 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें सिर्फ 8 उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे. इसके अलावा, बीजेपी ने बिहार में अपने कुल 24 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें सिर्फ 8 उम्मीदवारों को जीत मिली.
1989 के लोकसभा चुनाव में महज 197 सीटों पर सिमट गई थी कांग्रेस
देश की नौवीं लोकसभा के लिए 1989 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने सर्वाधिक 510 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. जिसमें 197 उम्मीदवार चुनाव जीतकर संसद पहुंचने में सफल रहे. इस चुनाव में कांग्रेस भले ही बहुमत के आंकड़े से काफी दूर थी, लेकिन वह इस चुनाव में भी देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने थी. कांग्रेस के बाद, देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जनता दल सामने आई. इस चुनाव में जनता दल ने कुल 244 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 143 ने जीत दर्ज की. वहीं, देश की तीसरी सबसे मजबूत पार्टी के तौर पर पहली बार बीजेपी आई. बीजेपी ने 224 सीटों पर चुनाव लड़कर कुल 85 सीटें जीतीं थी. 1989 के इस चुनाव में, सीपीआई 12 और सीपीएम 33 जीतने में कामयाब रहीं. वहीं इस चुनाव में, जनता पार्टी (जेपी) और लोकदल (बहुगुणा) को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थीं. उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में 39.53 प्रतिशत, जनता दल के पक्ष में 17.19 प्रतिशत और बीजेपी के पक्ष में कुल 11.36 फीसदी मतदान हुआ था.