नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोबारा ताजपोशी की बात पर लोकसभा चुनावी नतीजों से पहले आए एक्जिट पोल ने भी मुहर लगा दी है. लगभग सभी एग्जिट पोल में एनडीए बहुमत के जादुई आंकडे को आसानी से पार करती दिख रही है. दोबारा मोदी सरकार बनने के साफ संकेत के बावजूद भी राहुल गांधी, मायावती, ममता, और शरद पवार समेत विपक्षी दलों के नेताओं में प्रधानमंत्री की कुर्सी के सपने संजोने की होड़ कम नहीं हुई है. 


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आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, राहुल-सोनिया गांधी से लेकर क्षेत्रीय दलों के नेताओं से देशभर में घूम-घूमकर लामबंद करने की कवायद छेड़े हुए हैं. वहीं मराठा क्षत्रप एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार भी नई सरकार बनाने के लिए विपक्षी नेताओं से लगातार संपर्क साध रहे हैं. पवार केंद्र में नई सरकार बनाने की कवायद में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू के साथ कई बैठकें कर चुके हैं. साथ ही पवार नायडू के सियासी विरोधी जगनमोहन रेड्डी से भी फोन पर संपर्क साधे हुये हैं. 


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दरअसल, शरद पवार एनडीए को सरकार बनाने में आंकड़े कम पड़ने की हालत में बड़े सियासी पैंतरे भांजने की तैयारी में समर्थन जुटाने में लगे हैं. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का मुंबई निवास सिल्वर ओक और दिल्ली स्थित 6 जनपथ निवास, केंद्र में नई सरकार बनने तक अगले कुछ दिनों तक यूं ही राजनीति का केंद्र बने रहने की उम्मीद है. एनडीए को बहुमत से कम सीटें मिलने की स्थिति में क्षेत्रीय दलों की अहमियत बढ़ेगी और शरद पवार इसी ताक में प्लान 'बी' और प्लान 'सी' तैयार करके बैठे हैं.



एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने ZEE न्यूज से खास बातचीत में पहले ही साफ कर चुके हैं कि विपक्षी दलों में प्रधानमंत्री चेहरे पर आम सहमति बनाने के लिए वह सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाने की कोशिश करेंगे.


एक्जिट पोल के नतीजों में कांग्रेस तीन का आंकडा भी भले ही नहीं छू पा रही है, फिर भी राहुल गांधी प्रधानमंत्री कुर्सी से नजरें नहीं हटा पा रहे हैं. यूपीए की सहयोगी डीएमके के नेता एमके स्टालिन के सिवा किसी भी पार्टी ने राहुल के नाम पर मुहर नहीं लगाई है. यूपीए के शरद पवार जैसे सियासी दांव में अनुभवी नेता राहुल गांधी के बजाय विपक्षी दलों के दूसरे नेताओं ममता बनर्जी, मायावती और चंद्रबाबू नायडू के नामों को प्रधानमंत्री कुर्सी के लिये उछालकर कांग्रेस को पहले ही सियासी झटका दे चुके हैं. जानकार मानते हैं कि शरद पवार गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस दलों को एकजुट कर अपनी सियासी प्लानिंग अंजाम देने की रणनीति तय कर चुके हैं. 


केंद्र में सरकार बनाने का क्या है शरद पवार का प्लान 'बी' और सी..
कांग्रेस पार्टी की अगुवाई में पवार ममता, मायावती और अखिलेश यादव समेत दक्षिण भारत की क्षेत्रीय पार्टियों को एक छतरी तले लाकर गैर-बीजेपी, गैर कांग्रेसी सरकार को मूर्ति रूप दे सकते हैं. इसमें पवार अपने लिये बड़ा सियासी कुर्सी तलाशेंगे. चुनावी नतीजों में कांग्रेस की गाड़ी सौ के आंकडें के भीतर सिमटने पर पवार का प्लान- 'सी' भी तैय्यार है. इसमें कांग्रेस की मदद से यूपीए के घटक दलों के अलावा कई एनडीए घटकों और एनडीए के करीब जा रही क्षेत्रीय पार्टियों को लुभा सकते हैं. इसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी टीआरएस, आंध्र प्रदेश की जगनमोहन रेड्डी की पार्टी, ओडिशा से नवीन पटनायक, और नीतीश कुमार की जेडीयू सरीखे दलों को भी करीब लाकर केंद्र में सरकार बनाने की कवायद को अंजाम दे सकते हैं.



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माना जाता है कि शरद पवार खुद को प्रधानमंत्री कुर्सी के लिये डार्क हार्स भी मानकर चल रहे हैं. जानकार मानते हैं कि शरद पवार सियासत में माहिर हैं और अपने तरकश में कई तीर लिये चलते हैं. 


वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश जोशी के मुताबिक शरद पवार शर्तों पर किसी भी सरकार को समर्थन देने की भी रणनीति में नहीं चूकेंगे. चाहे वह एनडीए की सरकार बनाने की ही बात क्यों ना हो. हालांकि  23 मई को असल चुनावी नतीजों का ऐलान होगा. तभी नई केंद्र सरकार की तस्वीर साफ होगी. पवार इसी दिन नए सियासी मौसम को भांपकर सियासी पासा फेंकेंगे.


इनपुट: एहसान अब्बास