नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए काकीनाडा में पहले चरण में वोट डाले जा चुके हैं. आंध्रप्रदेश की इस अहम सीट पर टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. टीडीपी के सामने अपनी सीट बचाने की चुनौती है. पिछ्ली बार महज 3431 वोट से टीडीपी यह सीट जीतने में कामयाब रही थी. लेकिन इस बार टीडीपी के लिए अपनी सीट बचाना मुश्किल हो रहा है.  


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टीडीपी ने इस बार अपने मौजूदा सांसद थोटा नरसिम्हम का टिकट काटकर चलामाला सेट्टी सुनील को टिकट दिया है. वाईएसआर कांग्रेस ने वंगा गीता को मैदान में उतारा है. एम एम पल्लम राजू को कांग्रेस ने अपना खोया जनाधार वापस लाने की जिम्मेदारी दी है. बीजेपी ने येल्ला वेंकट राममोहन राव पर भरोसा जताते हुए कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी है. 


काकीनाड में सीपीआई ने जीता था पहला लोकसभा चुनाव
आंध्र प्रदेश की इस महत्वपूर्ण सीट पर सबसे पहले लोकसभा चुनाव में सीपीआई ने परचम फहराया था. फिर यह सीट कांग्रेस का गढ़ बन गई. 1957 से 1980 तक कांग्रेस लगातार 6 बार जीती. 1984 में टीडीपी की लहर में कांग्रेस यहां से चुनाव हार गई. 1989 के लोकसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस ने इस सीट पर वापस कब्जा जमा लिया. लेकिन 1991 में फिर से टीडीपी ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली. कांग्रेस आखिरी बार 2009 में यहां से जीती थी लेकिन इसके बाद समीकरण बदल गए. 2014 में मुख्य मुकालबा टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के बीच हुआ, कांग्रेस मुकाबले में पूरी तरह से पिछड़ गई. 


 



2014 में महज 3431 वोट से जीती थी टीडीपी
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से तेलुगु देसम पार्टी के थोटा नरसिम्हम ने 5 लाख 14 हजार 402 वोट हासिल करके करीबी मुकाबले में 3 हजार 431 मतों से जीत हासिल की थी. वाईएसआर कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी थी. YSR कांग्रेस पार्टी के चेल्लमाशेट्टी सुनील दूसरे स्थान पर रहे थे. इस बार चेल्लमाशेट्टी सुनील ने टीडीपी का दामन थाम लिया है. कांग्रेस पार्टी के मल्लीपुडी मंगापटी पल्लम राजू 19 हजार 754 वोट पाकर तीसरे स्थान रहे थे.