आगरा: ताज नगरी आगरा में लोकसभा सीट दलितों का गढ़ माना जाता है. साल 2014 में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. साल 2018 में देशभर में केन्द्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ दलितों की नाराजगी खुलकर सामने आई. एसी/एसी एक्ट के दलितों का प्रदर्शन यहीं से शुरू हुआ. अभी भारतीय जनता पार्टी के रामशंकर कठेरिया यहां से सांसद है. ये लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. आगरा को असली पहचान ताजमहल ने दी, ये इमारत दुनिया के सात अजूबों में से एक है. आधुनिक आगरा की स्थापना सिकंदर लोधी ने की थी, मशहूर मुगल सम्राट अकबर ने यहां आगरे का किला बनवाया था. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

साल 2014 का इतिहास
साल 2014 में बीजेपी के रामशंकर कठेरिया ने बीएसपी के नारायण सिंह को 3,00,263 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी. साल 2014 के चुनाव में 18,14,739 वोटरों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 55 प्रतिशत पुरुष और 45 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं. प्रेमनगरी कहे जाने वाले आगरा की 88 प्रतिशत आबादी हिंदू और 9 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है


क्या है राजनीतिक इतिहास
साल 1952 से लेकर 1971 तक यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की. जबकि इमरजेंसी के बाद देश में कांग्रेस विरोधी लहर में चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोक दल ने यहां पर जीत दर्ज की. हालांकि, उसके बाद हुए लगातार दो चुनाव 1980, 1984 में फिर यहां पर कांग्रेस ही जीती. लेकिन 1984 के बाद यहां कांग्रेस की सत्ता वापसी नहीं हो सकी. 1989 में जनता दल ने इस सीट पर कब्जा किया. उसके बाद देश में हुए लगातार तीन लोकसभा चुनाव 1991, 1996 और 1998 में भारतीय जनता पार्टी यहां से जीती. साल 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी की तरफ से बॉलीवुड अभिनेता राज बब्बर ने यहां पर चुनाव जीता. 2009 में रामशंकर कठेरिया ने सपा से इस सीट को हटाया और बीजेपी की कमल खिलाया. 2014 में बीजेपी के रामशंकर कठेरिया दोबारा इस सीट पर जीत दर्ज की.