नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव हों या फिर विधानसभा चुनाव जम्मू कश्मीर की सियासत में महबूबा मुफ्ती के बाद किसी का नाम आता है तो वो फारूक अब्दुल्ला का है. बेबाक बयानों के लिए जाने वाले फारूख अब्दुल्ला राज्य की सत्ता पर तीन बार पर कायम रह चुके हैं. एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाने के लिए फारूख मैदान में हैं.


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इन राजनेताओं से है फारूख अब्दुल्ला से है मुकाबला
इन चुनावों में फारूख अब्दुल्ला का मुकाबला पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी इरफान अंसारी और पीडीपी के आगा मोहसिन से है. 


महागठबंधन के प्रमुख चेहरों में हैं शुमार
2014 में केंद्र में बीजेपी की सत्ता आने के बाद राहुल गांधी, सोनिया गांधी के बाद फारूख अब्दुल्ला विपक्ष के प्रमुख चेहरों में से एक हैं. फारूक यूपीए-2 के दौरान केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. फारूक अब्दुल्ला के पुत्र उमर अब्दुल्ला भी अपने वालिद के नक्शे-कदम पर चलते हुए बखूबी उनकी विरासत को संभाल रहे हैं. 


पिता की मौत के बाद बने सीएम
फारूख अब्दुल्ला की कहानी भी राहुल गांधी की तरह मानी जाती है, जिस तरह राहुल अपनी पैतृक सियासत को संभाल रहे हैं, ठीक उसी तरह फारूख अपने पिता की विरासत को संभाल रहे हैं. फारूक अब्दुल्ला पहली बार 1980 में हुए आम चुनाव में श्रीनगर से सांसद चुने गए. 1982 में पिता शेख अब्दुल्ला की मौत के बाद फारूक ने उनकी सियासी विरासत पूरी तरह संभालते हुए राज्य के मुख्यमंत्री बने.