अररिया : बिहार का अररिया लोकसभा सीट बीते वर्ष भी सुर्खियों में रहा. इस सीट के लिए 2018 में लोकसभा का चुनाव हुआ था. अररिया से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद इस सीट पर उप चुनाव कराया गया था. लड़ाई मुख्य रूप से आरजेडी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच थी. आरजेडी ने तसलीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को मैदान उतारा था, जबकि बीजेपी ने प्रदीप सिंह को खड़ा किया, जो कि 2009 में यहां से चुनाव जीतने में सफल रहे थे. 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.


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11 मार्च 2018 को हुए उपचुनाव में 59.64 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. आरजेडी उम्मीदवार सरफराज आलम 509334 मतों के साथ विजयी हुए थे. वहीं, बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप सिंह 447546 मतों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे. इस चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में लगभग 16 प्रतिशत का इजाफा हुआ था. जेडीयू के साथ आने के बाद यह पहला उपचुनाव था. 2014 में जेडीयू ने भी यहां से अपना उम्मीदवार उतारा था.


2014 को लोकसभा चुनाव की बात करें तो 1587332 मतदातों वाले अररिया लोकसभा सीट पर लगभग 61.48 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. आरजेडी उम्मादवार तस्लीमुद्दीन को जहां 407978 मत मिले वहीं, बीजेपी के प्रदीप सिंह 261474 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. साथ ही जेडीयू के विजय कुमार मंडल को कुल 221769 वोट मिले.


शुरुआती दौर में इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा था. 1989 में पहली बार जनता दल की टिकट सुखदेव पासवान सांसद बने थे. वह 1991 और 1996 का चुनाव जनता दल और 1999 का चुनाव आरजेडी की टिकट पर चुनाव जीते. उन्होंने 2004 में बीजेपी का दामन थाम लिया और चुनाव लड़े. इस चुनाव में उन्होंने दूसरी बार अररिया सीट पर बीजेपी का कमल खिलाया था. इससे पहले 1998 रामजी दास ऋषिदेव बतौर बीजेपी उम्मीवार चुना जीतने में सफल रहे थे. 2009 के चुनाव में बीजेपी ने प्रदीप कुमार सिंह को टिकट दिया और वह जीतकर सांसद बने.