नई दिल्ली: बहराइच लोकसभा सीट यूपी की 56वीं लोकसभा सीट है, जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. साल 2009 तक यह सीट सामान्य श्रेणी की थी, लेकिन 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में इस लोकसभा सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. इस लोकसभा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की पांच विधानसभा सीटें आती हैं. साल 2014 में सावित्री बाई फुले यहां से चुनाव जीता था, जो अब बीजेपी से बागी हो गई हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐसे मिला नाम
कई पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, यह धरती भगवान ब्रह्मा की राजधानी, ब्रह्मांड के निर्माता के रूप में प्रसिद्ध थी. इसे गंधर्व वन के हिस्से के रूप में भी जाना जाता था. ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने यहां के वन क्षेत्र को ऋषियों और साधुओं की पूजा और तपस्या के लिए विकसित किया था. इसलिए इसे ब्रह्माच भी कहा जाता है. कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि मध्ययुगीन काल में यह जगह 'भर' राजवंश की राजधानी के रूप में विख्यात थी. इसलिए इसे 'भारिच' भी कहा गया जो आगे चलकर बहराइच के रूप में चर्चित हो गया. 


 



2014 में ये था जनादेश
2014 में बीजेपी यहां कमल खिलाने में सफल हुई थी. बीजेपी की सावित्री बाई फुले ने यहां से जीत दर्ज की थी. उन्होंने सपा के शब्बीर अहमद को हराकर जीत हासिल की थी, हालांकि अब साध्वी सावित्री ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है. 


ऐसा है राजनीतिक इतिहास
साल 1952 में यहां पहली बार चुनाव हुए थे. पहले आम चुनाव में बहराइच लोकसभा सीट पर रफी अहमद ने जीत हासिल की थी. साल 1957 में कांग्रेस के ही जोगिंदर सिंह दूसरे सांसद बने. साल 1962 में कांग्रेस को स्वतंत्र पार्टी से हार का मुंह देखना पड़ा था. साल 1967 में जनसंघ ने भी जीत हासिल की थी. साल 1971 में कांग्रेस ने फिर यहां जीत हासिल की. 1988, 1984 में कांग्रेस के आरिफ मोहम्मद खान यहां से सांसद बनें. लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री राजीव गांधी से उनका मतभेद होने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया और जनता दल के टिकट पर 1989 का चुनाव जीता. साल 1991 के बाद यहां बीजेपी ने अपना परचम लहराया. साल 1998 में लगातार तीसरी जीत का सपना देख रही थी, मगर बहुजन समाज पार्टी के आरिफ मोहम्मद खान ने जीत दर्ज करके उसका सपना तोड़ दिया. साल 1999 में हुए बीजेपी के पद्मसेन चौधरी ने आरिफ मोहम्मद खां से अपनी हार का बदला लिया. साल 2004 में सपा ने बसपा और 2009 में बसपा ने सपा को हराकर इस सीट पर कब्ज़ा किया था. लेकिन साल 2014 में यहां बीजेपी ने कब्जा कर लिया.