बनासकांठा लोकसभा सीटः बीजेपी के अंदर ही टिकट के लिए मच सकता घमासान
बनासकांठा लोकसभा सीट पर बीजेपी के अंदर टिकट के लिए घमासान हो सकता है.
बनासकांठाः गुजरात का बनासकांठा जिला का नाम यहां बहने वाली बनासकांठा नदी के नाम पर रखी गई है. बनासकांठा के पर्यटन शहर है लेकिन यह काफी संवेदनशील जिला है. इसकी रेगिस्तान की सीमाएं पाकिस्तान से जुड़ती है. वहीं, इस शहर पर कुदरत कभी मेहरबान नहीं रही है. गुजरात में बाढ़ की सबसे अधिक तबाही बनासकांठा में ही होती है. यह इकलौता एक शहर है जिसे सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ता है.
हालांकि पर्यटक यहां की अद्भुत संस्कृति की एक झलक पाने के लिए आते हैं. यहां के त्योहार, पारंपरिक भोजन-परिधान और लोगों द्वारा बोली जाने वाली आम भाषा इस रंग-बिरंगे राज्य की सबसे बड़ी खासियत है. इन सब के अलावा यह राज्य अपने ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है.
राजनीतिक दृष्टि से बनासकांठा कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. बनासकांठा में 9 विधानसभा सीटें हैं जिसे 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. हालांकि लोकसभा चुनाव में 2013 और 2014 में बीजेपी ने बाजी मारी थी.
2013 के उपचुनाव में हरिभाई चौधरी ने जीत दर्ज की थी. जिसके बाद 2014 के आम चुनाव में उन्हें फिर से टिकट दिया गया. हालांकि इससे पहले हरिभाई को 2004 और 2009 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि 2019 के चुनाव में बनासकांठा सीट के टिकट को लेकर बीजेपी में ही घमासान मच सकता है.
गुजरात के पाटन लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद लीलाधर वाघेला ने पहले ही टिकट को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने इस बार आम चुनाव में बनासकांठा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी. उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर उन्हें वह सीट नहीं दी गई तो वह पार्टी छोड़ देंगे.
ऐसे में बीजेपी के आलाकमान के लिए इस सीट पर टिकट तय करने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. क्यों कि इस सीट पर हरिभाई चौधरी लगातार लड़ते आ रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस के लिए भी बनासकांठा सीट चुनौती है. क्यों कि 2013 और 2014 के चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था.