राजकोटः गुजरात राज्य में राजकोट एक प्रमुख शहर है. महात्मा गांधी ने राजकोट में अपना बचपन बिताया था, जो सौराष्ट्र की राजधानी भी रह चुका है. राजकोट अंग्रेजों के समय से ही काफी प्रसिद्ध शहर रहा है. यह पर्यटन के मायने से भी काफी दर्शनीय स्थल है. राजकोट गुजरात का चौथा सबसे बड़ा शहर है.


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राजनीतिक दृष्टि से राजकोट बीजेपी का गढ़ रहा है. साल 1989 से राजकोट लोकसभा सीट पर बीजेपी ने पहली बार जीत हासिल की थी. जिसके बाद तीन दशक से बीजेपी लगातार लोकसभा चुनाव जीत रही है. हालांकि कांग्रेस 2009 के चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल हुई थी. लेकिन 2014 में एक बार फिर यह सीट बीजेपी के पाले में आ गई.


राजकोट सीट पर 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. वहीं, 1989 में बीजेपी ने पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी. उस समय शिवलाल वेकारिया बीजेपी से सांसद बने थे. वहीं, 1991 के चुनाव में शिवलाल वेकारिया ने फिर से जीत हासिल की. इसके बाद 1996 में वल्लभभाई कटारिया बीजेपी के टिकट से राजकोट में जीत दर्ज की.


वल्लभभाई कटारिया राजकोट से चार बार सांसद रहे. उन्होंने 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार बीजेपी से जीत दर्ज की. वहीं, 2009 में कांग्रेस की टिकट से कुंवरजीभाई बावलिया बीजेपी को शिकस्त देने में कामयाब हो गए. हालांकि 2014 में कुंवरजीभाई बावलिया को हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी से मोहनभाई कुंडारिया ने जीत दर्ज की.


हालांकि अब कुंवरजी बावलिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है और वह अब उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट से उन्होंने जीत दर्ज की जिसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए. और बीजेपी के टिकट से उपचुनाव में जीत दर्ज की. इससे कांग्रेस का समीकरण के साथ-साथ बीजेपी का भी समीकरण में उलटफेर हो गया है. अब उन्हें राजकोट सीट पर बीजेपी से बड़ा दावेदार माना जा रहा है.


वहीं, यह भी माना जा रहा है कि पीएम मोदी खुद राजकोट सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. पीएम मोदी ने पहली बार जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने राजकोट विधानसभा से ही जीत हासिल की थी.