लोकसभा चुनाव 2019: जानें कैसा है प्रदेश की `संस्कारधानी` जबलपुर का राजनीतिक समीकरण
जबलपुर लोकसभा के अंतर्गत 8 विधानसभा सीट आती हैं, जिनमें पाटन, जबलपुर उत्तर, बरगी, पनगर, सिहौर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पूर्व और जबलपुर पश्चिम शामिल हैं.
जबलपुरः मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट प्रदेश की हाईप्रोफाइल लोकसभा सीटों में से एक है. जबलपुर से वर्तमान सांसद राकेश सिंह यहां से लगातार 3 बार सांसद चुने जा चुके हैं. भाजपा जबलपुर में 8 बार तो कांग्रेस 7 बार जीत दर्ज करा चुकी है, लेकिन 1997 के चुनाव के बाद से इस सीट पर भाजपा का ही राज है. बता दें जबलपुर लोकसभा के अंतर्गत 8 विधानसभा सीट आती हैं, जिनमें पाटन, जबलपुर उत्तर, बरगी, पनगर, सिहौर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पूर्व और जबलपुर पश्चिम शामिल हैं.
2014 के राजनीतिक समीकरण
2014 के लोकसभा चुनाव में जबलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी और मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने 2,08,639 वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा को हराया था. राकेश सिंह को 5,64,609 वोट मिले थे. वहीं विवेक तन्खा को 3,55,970 वोट ही मिल सके.
राजनीतिक इतिहास
जबलपुर में 1957 में पहली बार चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के गोविंद दास सेठ को जीत मिली. इसके बाद यहां से जनता दल के शरद यादव ने जीत हासिल की. वहीं 1971 में फिर गोविंददास सेठ ने ही जीत दर्ज कराई और 1977 के चुनाव में कांग्रेस के जगदीश नारायण अवस्थी को जबलपुर की जनता ने संसद पहुंचाया. 1982 के उपचुनाव में बीजेपी के बी परांजपे को इस सीट से जीत मिली. हालांकि 1984 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
1996 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के बी. परांजपे को जबलपुर लोकसभा सीट से जीत मिली, जिसके बाद से इस सीट पर बीजेपी का ही कब्जा है. 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में राकेश सिंह ने जबलपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज कराई.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
राकेश सिंह को उनके निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए 19.41 करोड़ का फंड आवंटित किया गया, जिसका उन्होंने 83 प्रतिशत खर्च कर दिया, जबकि बाकि का 17 प्रतिशत फंड खर्च नहीं हो पाया.