गोपालगंज : बिहार का गोपालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के जनक राम ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डॉ. ज्योति भारती को पौने तीन लाख से अधिक मतों से  मात दी थी. वहीं, जेडीयू इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी. इस लोकसभा में कुल छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, भोरे और हथुआ शामिल है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1654838 मतदाताओं वाले गोपालगंज लोकसभा सीट पर 2014 के आम चुनाव में 54.60 प्रतिशत मतदान हुआ था. कुल 903583 वोटर ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. यहां से कुल 14 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे थे. बीजेपी को कुल 286626 मतों से जीत मिली थी. बीजेपी उम्मीदवार जनक राम को 478758, कांग्रेस के 191832 और जेडीयू के अनिल कुमार को 100419 वोट मिले थे.   


1980 के बाद नहीं मिली है कांग्रेस को जीत
देश में 1952 में हुए प्रथम आम चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सयद महमूद को गोपालगंज लोकसभा सीट पर जीत मिली थी. 1957 में भी वह सांसद बनने में सफल रहे. वहीं, 1962 से 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार द्वारिका नाथ तिवारी का राज कायम रहा. 1980 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार नगीना राय को जीत मिली थी. इस चुनाव के बाद से अभी तक कांग्रेस को इस सीट पर जीत की तलाश है.


1984 के लहर में भी नहीं मिली थी कांग्रेस को जीत
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में कांग्रेस पार्टी की लहर थी, लेकिन गोपालगंज लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर काली प्रसाद पांडेय चुनाव जीते थे. वहीं, 1989 में यहां से जनता दल के उम्मीदवार राज मंगल मिश्र ने जीत दर्ज की थी. जनता दल में दो फाड़ हुआ और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का गठन हुआ. 1991 के चुनाव में आरजेडी से अब्दुल गफूर चुनाव लड़े और जीतने में सफल रहे. वहीं, 1996 के चुनाव में आरजेडी ने लाल बाबू प्रसाद यादव को मौका दिया.


1998 में अब्दुल गफ्फूर और 1999 के चुनाव में रघुनाथ झा समता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े और दोनों सांसद बनने में सफल रहे थे. 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू यादव ने अपने साले अनिरुद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव को आरजेडी का टिकट दिया और वह चुनाव भी जीते. 2009 में यह लोकसभा सीट सुरक्षित हो गया. जेडीयू के पूर्णमासी राम यहां से चुनाव जीते.