भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व के चलते भाजपा ने लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीट पर कब्जा कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. यह प्रदेश में भाजपा का अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. इसके बावजूद वह इस राज्य में सिर्फ एक सीट छिंदवाड़ा पर ही सिकुड़ गई है. कुलमिलाकर भाजपा ने 300 से अधिक सीटें जीतीं. जबकि, कांग्रेस 52 सीटों पर सिमट गई. 

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इससे पहले भाजपा ने मोदी की लहर के चलते 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की 29 में से 27 सीटों पर कब्जा किया था. तब कांग्रेस को दो सीटें छिंदवाड़ा एवं गुना की सीट मिली थी. लेकिन इस बार भाजपा ने गुना सीट को कांग्रेस से छीन ली है. गुना से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं चार बार लगातार सांसद रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया उम्मीदवार थे. उन्हें पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे भाजपा के कृष्ण पाल यादव ने 1,25,549 मतों से हराया. 


करीब चार दशक पहले देश में लगे आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में अविभाजित मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़) में तत्कालीन भारतीय जनसंघ को कुल 40 सीटों में से 39 सीटें मिली थी. तब भी कांग्रेस केवल एक सीट छिंदवाड़ा को ही अपनी झोली में डालने में कामयाब रही थी. गौरतलब है कि भारतीय जनसंघ के खत्म होने के बाद ही 1980 में भाजपा बनी. 

2001 में मध्य प्रदेश के दो भाग कर मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दो राज्य बनाए गए. अविभाजित मध्य प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से 11 सीटें छत्तीसगढ़ में चली गई और 29 सीटें मध्य प्रदेश में रह गई. भाजपा के केवल दो प्रत्याशी ही 90,000 एवं एक लाख के मतों के अंतर से जीते. बाकी सभी भाजपा प्रत्याशी एक लाख से पांच लाख के बड़े अंतर से विजयी रहे. अधिकांश सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले काफी बढ़ा है.

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ (कांग्रेस) ने भाजपा के नथन शाह को मात्र 37,536 मतों के अंतर से हराया. यह मध्य प्रदेश में इस बार हार का सबसे कम अंतर है. भाजपा ने अपने मौजूदा 26 सांसदों में से 13 सांसदों को टिकट दिया था. इनमें से सभी ने जीत दर्ज की है. वहीं, कांग्रेस ने अपने तीन मौजूदा सांसदों में से केवल दो सांसदों ज्योतिरादित्य सिंधिया (गुना) एवं कातिलाल भूरिया (रतलाम) को मैदान में उतारा था. ये दोनों सांसद अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं रहे.

भाजपा ने चार महिलाओं प्रज्ञा सिंह ठाकुर (भोपाल), संध्या राय (भिण्ड), हिमाद्रि सिंह (शहडोल) एवं रीति पाठक (सीधी) को मध्य प्रदेश में टिकट दी थी. चारों अपनी-अपनी सीटें जीतने में कामयाब रहीं. इसके विपरीत कांग्रेस ने पांच महिलाओं को टिकट दिया था, जिनमें से सभी हार गई.