खूंटी: 2000 में बिहार से अलग होने के बाद रांची, झारखंड की राजधानी बनी. देशभर में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर केंद्र और विपक्ष दोनों ही अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. एक ओर जहां सत्ता पर काबिज बीजेपी 2014 की शानदार जीत को दोहराना चाहती है तो वहीं, दूसरी ओर विपक्ष भी बीजेपी को केंद्र से हटाने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहता है. जिसके चलते केंद्र से लेकर राज्यों तक की राजनीति गरमाई हुई है. 


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वहीं, अगर झारखंड में लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 में सभी सीटें जीतने के बाद बीजेपी इसे दोहराने के लिए तैयारियों में जुट गई है. अगर झारखंड के खूंटी लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के लिए खूंटी में जीतना आसान नहीं होगा क्योंकि यह सीट लगातार बीजेपी का गढ़ रही है. 


2004 का आम चुनाव छोड़ दिया जाए तो 1989 से करिया मुंडा ने यहां से लगातार जीत दर्ज की है. सरकार ने उन्हें इसी साल पद्म भूषण देने की घोषणा की है. यहां से किसी भी पार्टी और उम्मीदवार के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी. 


2009 में करिया मुंडा को 210209 वोट मिले थे तो वहीं नील टिर्की को उनके बाद सबसे अधिक 210209 वोट मिले. 2014 में करिया मुंडा 269160 वोट मिले और एनोस एक्का को 176000 वोट मिले. खूंटी से 2019 के लोकसभा चुनाव में करिया मुंडा खूंटी से बीजेपी के उम्मीदवार होंगे इसमें कोई दो राय नहीं है. 


देखने वाली बात ये है कि कौन सी पार्टी यहां से किसे उम्मीदवार के रूप में खड़ा करती है और साथ ही खूंटी लोकसभा क्षेत्र में इस लोकसभा चुनाव में कैसा मूड रहता है.