नई दिल्ली: पूर्वोत्तर में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर इस साल की शुरुआत में हुए विरोध प्रदर्शनों को देख ऐसा लग रहा था कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा लेकिन जो परिणाम आए हैं, वह इस अनुमान को गलत साबित करते हैं. 


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पूर्वोत्तर राज्यों की 25 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें बीजेपी और उसके सहयोगी दल अपनी झोली में डालने में सफल रहे. नागरिकता विधेयक को लेकर असम, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम में विरोध प्रदर्शन हुए थे.  कांग्रेस अपनी झोली में सिर्फ चार ही सीट कर पाई जबकि उसके सहयोगी दो सीट पर जीतने में सफल रहे. लोकसभा की एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार की झोली में गई. 



नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 लाने की केंद्र सरकार की योजना को पूर्वोत्तर के लोगों ने यहां के मूल निवासियों के हितों के खिलाफ बताया था. कई राजनीतिक टिप्पणीकारों का मानना था कि पूर्वोत्तर में इस मुद्दे की वजह से बीजेपी को लोकसभा चुनाव में नुकसान पहुंच सकता है. 


इस विधेयक में मुस्लिम बहुल बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों, जैनों और पारसियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा गया था. इसको देखते हुए असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और केंद्र सरकार को इस विधेयक को राज्यसभा में पेश करने की अपनी योजना से पीछे हटना पड़ा था. असम में बीजेपी को नौ सीटें मिलीं. 2014 में बीजेपी को सात सीटों पर जीत मिली थी. 


वहीं, कांग्रेस को तीन सीटें मिली. वह 2014 में भी इतनी ही सीटें जीती थी. कांग्रेस की सहयोगी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) को एक सीट पर जीत मिली. उसे 2014 में तीन सीटों पर जीत मिली थी. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार की झोली में गई. 


अरुणाचल प्रदेश में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू के नेतृत्व में बीजेपी ने चुनाव लड़ा और वह दोनों ही सीटें अपनी झोली में करने में कामयाब रही. असम के वित्त मंत्री और बीजेपी नेता हिमंत बिस्वशर्मा ने कहा कि क्षेत्र में राजग की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए ‘बेहतरीन विकास’ का नतीजा है. 


मणिपुर में बीजेपी और नगा पीपुल्स फ्रंट ने क्रमश: आंतरिक मणिपुर और बाह्य मणिपुर सीटों पर जीत हासिल की. यह दोनों ही सीटें 2014 में कांग्रेस के पास थी. बीजेपी ने त्रिपुरा के दोनों संसदीय क्षेत्र त्रिपुरा पूर्व और त्रिपुरा पश्चिम पर जीत हासिल की. यह दोनों ही सीटें 2014 में माकपा ने जीती थी. 


वहीं, सिक्किम में राजग के सहयोगी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने सिक्किम की एक मात्र सीट पर भी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के उम्मीदवार को हराकर जीत दर्ज की. 


मिजोरम में राजग के सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट के उम्मीदवार सी लालरोसांगा ने निर्दलीय उम्मीदवार को हराया. राज्य में एक मात्र लोकसभा सीट है. इससे पहले यह सीट कांग्रेस के पास थी. 


नगालैंड की एक सीट भी बीजेपी के सहयोगी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने जीती है.  मेघालय की शिलांग सीट हालांकि कांग्रेस के खाते में गई लेकिन राजग के सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी ने तूरा में जीत हासिल की.  इस जीत को देखते हुए बीजेपी यह दावा कर सकती है कि पूर्वोत्तर में कमल खिल चुका है.