नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से 21 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने कहा है कि 50 फीसदी ‘वीवीपैट’ पर्चियों की गिनती किए जाने पर लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा में छह दिनों की देर होने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह कोई ‘गंभीर विलंब’ नहीं है, बशर्ते कि यह चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करती हो.


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टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में विपक्षी दलों द्वारा दाखिल एक जवाबी हलफनामे में यह दलील दी गई है. उन्होंने इसे चुनाव आयोग के उस दावे के जवाब में दाखिल किया है, जिसमें कहा गया था कि 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन करने से चुनाव नतीजों की घोषणा में ‘‘5.2’’ दिनों की देर हो जाएगी. नेताओं ने कहा, ‘‘यदि यह किसी भी तरह से चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता को सुनिश्चित करती है तो यह गंभीर विलंब नहीं है.’’ 


‘वोटर वेरीफाइड ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) मशीन ईवीएम से जुड़ी होती है. जब मतदाता ईवीएम पर बटन दबाता है तब वीवीपैट मशीन से एक पर्ची निकलती है जिसपर उस पार्टी का चुनाव निशान और उम्मीदवार का नाम होता है जिसे मतदाता ने वोट दिया होता है. मतदाता को सात सेकेंड तक दिखने के बाद यह वीवीपैट मशीन में एक बक्से में गिर जाती है. उल्लेखनीय है आयोग विधानसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र में और लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र में इस प्रकिया का पालन करता है. 


प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ नायडू एवं अन्य द्वारा दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने वाली है. याचिका के जरिए यह मांग की गई है कि लोकसभा चुनाव की मतगणना के दौरान हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाए. विपक्षी नेताओं ने कहा कि चुनाव आयोग के दावे के मुताबिक 5.2 दिनों की देर तभी होगी जब आयोग मौजूदा कर्मियों की संख्या नहीं बढ़ाएगा लेकिन यदि इसमें एक व्यक्ति भी बढ़ाया गया तो इसमें लगने वाले समय में कमी आएगी. 


उन्होंने स्पष्ट किया कि यह याचिका जनहित में दायर की गई है और इसका एकमात्र उद्देश्य स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है. जवाबी हलफनामा में कहा गया है कि जो मुद्दा उठाया गया है वह ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाता बल्कि चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता पर लोगों का भरोसा बढ़ाएगा. चुनाव आयोग के शपथपत्र के जवाब में नेताओं ने कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा जारी मौजूदा दिशानिर्देश वीवीपैट को पूरी तरह से निष्प्रभावी और सिर्फ दिखावे की चीज बनाता है. शीर्ष न्यायालय ने एक अप्रैल को विपक्षी नेताओं से अपना जवाब हफ्ते भर के अंदर सौंपने को कहा था.