नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 (LoK Sabha elections 2019) के चुनाव में महाराष्‍ट्र की लड़ाई दिलचस्‍प हो गई है. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का मुकाबला कांग्रेस-एनसीपी से हो रहा है. बड़ी बात ये है कि कभी कांग्रेस के धुरविरोधी रहे राज ठाकरे इन चुनावों में कांग्रेस और एनसीपी के लिए प्रचार कर रहे हैं. राज ठाकरे महाराष्ट्र में 11 सभाएं करेंगे, जिनमें कांग्रेस के 4 उम्मीदवार और एनसीपी के 2 उम्मीदवारों के समर्थन में इनकी सभाएं होंगी. एक सभा तो वह कर भी चुके हैं. लेकिन जब राज ठाकरे की सभाओं के खर्चे की बात आती है तो दोनों पार्ट‍ियां उनसे पल्‍ला झाड़ लेती हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यही राज ठाकरे की सबसे बड़ी विडंबना है. राज ठाकरे की सभाओं का खर्च भी लाखों में है, लेकिन इसकी खर्च वहन करने के लिए एनसीपी और कांग्रेस एक सिरे से नकार रही हैं. कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सामान ने तो यहां तक कह दिया, "राज ठाकरे से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है. राज ठाकरे चुनाव प्रचार करें या ना करें इससे कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता. कांग्रेस ने पिछले साढ़े चार साल में विरोधी दल की अच्छी भूमिका निभाई है और आज भी उस तरह से सरकार के किए गए कामों की आलोचना भी कर रही है. राज ठाकरे की चुनावी रैलियों का खर्च कांग्रेस को उठाने का कोई सवाल ही नहीं बनता क्योंकि ना तो और राज ठाकरे कांग्रेस के प्रचारक हैं और ना ही कांग्रेस पार्टी से उनका कोई संबंध है."


एनसीपी का अलग ही राग
इस मामले में एनसीपी ने अलग ही राग अलापना शुरू कर दिया है. एनसीपी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार खुद जांच करा ले कि आखिर चुनावी खर्च कौन देगा. एनसीपी राज ठाकरे से ना तो ज्यादा नजदीकी दिखाने की कोशिश कर रही है ना ही दूरी बनाकर रख रही है. एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक राज का कहना है, "राज ठाकरे यह बता रहे हैं कि 2014 में मोदी जी ने जो वादे किए गए उन्‍हें पूरा नहीं किया गया. उनके साथ धोखा हुआ. राज ठाकरे धोखा खाकर मोदी के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं. इसका मतलब एनसीपी और कांग्रेस के साथ हैं. इस पर वह कहते हैं कि मोदी जी राज ठाकरे के घर छापा मरवा आएं हम यह आह्वान करते हैं कि मोदी जी छापा मरवा और पता करें कि इन रैलियों पर कौन खर्च कर रहा है."


लाखों का खर्चा आता है राज की सभाओं पर
जानकारों के मुताबिक राज ठाकरे की एक सभा पर 5 से 8 लाख का खर्च केवल स्टेज सजाने और भाषण लोगों तक पहुंचाने में ही लग जाता है. इसमें साउन्ड सिस्टम, लाईट और एलईडी स्क्रीन का खर्च ही महज 4 घंटे के लिए लाखो में है. अगर पूरे सभा का खर्च जोड़ लिया जाए तो आंकड़ा दहाई में जाता है.



महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने भले अपने दल का कोई उम्मीदवार नहीं बनाया हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव प्रचार करने के लिए वह खुद मैदान में कूद पड़े हैं. 2014 में यही राज ठाकरे नरेंद्र मोदी के घोर समर्थक थे. तब वह बाकायदा गुजरात की यात्रा पर राजकीय मेहमान बने थे. लेकिन 2019 में चुनावी सीन बदल चुका है. इसी साल गुड़ी पड़वा के दिन विशाल जनसभा को संबोधित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी शिवसेना सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.  राज ठाकरे की पहली सभा कांग्रेस प्रत्‍याशी अशोक चव्‍हाण के समर्थन में नांदेड़ में हुई.


बीजेपी से राज के अलगाव का ये है कारण
राज ठाकरे की बीजेपी से दूरियां बढ़ने का बड़ा कारण शिवसेना है. कि राज ठाकरे कुछ दिन पहले बीजेपी को नसीहत दी थी कि बीजेपी खुद को शिवसेना से अलग कर ले. इसके एवज में राज ठाकरे बीजेपी के समर्थन में आ जाएंगे. साल 2014 में महज एक ही विधायक जीत कर आया जो साल 2019 आते-आते पार्टी को छोड़कर चला गया. हालांकि राज ठाकरे की सभाओं में अच्छी खासी भीड़ से जुट रही है, लेकिन भीड़ वोट में कितनी तब्दील होती है यह भी स्पष्ट नहीं है.


यहां-यहां करेंगे संभायें
हालांकि राज ठाकरे कांग्रेस के चार नेता अशोक चव्‍हाण, सुशील कुमार शिंदे, दक्षिण मुंबई से कांग्रेस के उम्मीदवार मिलिंद देवड़ा और उत्तर मुंबई से कांग्रेस के उम्मीदवार अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर के लिए भी चुनावी सभाएं करेंगे. इसके अलावा एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, पार्थ पवार और एक सभा रायगढ़ में भी करेंगे.