पटना : लोकसभा चुनाव में बिहार में सबसे करारा झटका महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को लगा है. इसका सूपड़ा साफ हो गया है वहीं महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) भी चित्त हो गई. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अभूतपूर्व 39 सीटों की जीत में जहां विपक्ष चारो खाने चित्त हो गई वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने 100 फीसदी स्ट्राइक के साथ उसके सभी छह प्रत्याशी जीत गए. यही हाल बीजेपी का रहा है, जहां उसके सभी 17 प्रत्याशी विजयी हुए.


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महागठबंधन में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी इस लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई, वहीं कांग्रेस को केवल किशनगंज सीट से ही संतोष करना पड़ा. महागठबंधन में शामिल अन्य सभी दल एनडीए की इस आंधी में धाराशायी हो गए. आरजेडी के गठन के बाद यह पहला मौका है जब आरजेडी के एक भी सदस्य लोकसभा में नहीं होगा. 



महागठबंधन के एक अन्य घटक दल रालोसपा को सबसे नुकसान उठाना पड़ा. पिछले चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने तीन सीटों पर कब्जा जमाकर शत प्रतिशत सफलता पाई थी. उस समय रालोसपा एनडीए के साथ थी, परंतु इस चुनाव में रालोसपा ने पाला बदलकर महागठबंधन के साथ हो गई और शत प्रतिशत सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को इस चुनाव में दो सीटों उजियारपुर और काराकाट से हार का सामना करना पड़ा.


इसके अलावा, महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) भी खाता नहीं खोल सकी. रालोसपा, वीआईपी और हम के तीनों अध्यक्षों को भी हार का मुंह देखना पड़ा. 


इस चुनाव में सबसे ज्यादा 100 फीसदी स्ट्राइक रेट से लोजपा और बीजेपी ने सफलता पाई. लोजपा इस चुनाव में छह सीटों पर चुनाव लड़ रही थी जबकि बीजेपी 17 सीटों पर प्रत्याशी उतारी थी. दोनों पार्टियों के सभी प्रत्याशी ने जीत का परचम लहराया. एनडीए में शमिल जद (यू) भी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी परंतु उसे किशनगंज सीट से हार का सामना करना पड़ा. 


पिछले चुनाव में रालोसपा एनडीए के साथ थी जबकि जद (यू) अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी.