सिक्किम: पवन चामलिंग के लिए किला बचाना बड़ी चुनौती, इस पार्टी से है कड़ा मुकाबला
राज्य के मुख्यमंत्री और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के अध्यक्ष पवन चामलिंग को भरोसा है कि वो इस बार फिर सरकार बनाएंगे.
गंगटोक: पिछले 25 सालों से सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग के लिए इस बार अपना किला बचाना मुश्किल हो रहा है. 32 सीटों की इस विधानसभा में पिछली बार चामलिंग ने 22 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा उन्हें न सिर्फ कड़ी टक्कर दे रहा है. बल्कि विधानसभा चुनाव के साथ राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट भी छिनने की स्थिति में दिख रही है.
वहीं सिक्किम की शांति के बारे में नागरिकों का कहना हैं कि यह महज एक दिखावा है. मनीषा गेंटोक में ही अपना रेस्त्रां चलाती है, अपनी पूरी पहचान नहीं छापने की शर्त पर वो बताती है कि सिक्किम की शांति एक दिखावा है. पूरे राज्य पर चामलिंग और उनके परिवार की राजशाही ही चलती है. अगर कोई खुलकर बोलता है तो पंचायत उस परिवार को मिलने वाला राशन बंद कर देता है. अगर परिवार को कोई सदस्य सरकारी नौकरी में है तो उसका तबादला दूर दराज में कर दिया जाता है. हमारे राज्य में आबादी बहुत कम है इसलिए सब एक दूसरे को जानते हैं. ऐसे में चामलिंग और उसके परिवार के खिलाफ बोलने की हिम्मत बहुत कम लोग करते हैं. पिछले चुनावों में परिवर्तन नहीं कर पाए लेकिन इस बार करेंगे.
दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के अध्यक्ष पवन चामलिंग को भरोसा है कि वो इस बार फिर सरकार बनाएंगे. एमजी मार्ग पर जनसंपर्क अभियान के दौरान चामलिंग ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस बार आप मुझे नए अवतार में देखेंगे. चुनावों में मिल रही चुनौती पर उन्होंने कहा कि मुझे अपने लोगों पर पूरा भरोसा है कि वो उन्हें फिर चुनेंगे.
जोरथांग में रैली के बाद सिक्किम कांतिकारी मोर्चा के लोकसभा प्रत्याशी इंद्राहांग सुब्बा ने ज़ी न्यूज डॉट कॉम को बताया कि राज्य में परिवर्तन की लहर है और इस बार हम सरकार बनाने जा रहे हैं. पिछली बार एसडीएफ ने वेस्ट सिक्किम और साउथ सिक्किम में पूरी 16 सीटें जीती थी. लेकिन इस बार सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पी एस गोले के नेतृत्व में वेस्ट में एसडीएफ को बड़ा नुकसान पहुंचाने जा रहा है. ईस्ट में 12 सीटें जीतेंगे और वेस्ट में भी जीतेंगे इसलिए हमारी सरकार बनने जा रही है.
बता दें कि देश के महान फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भुटिया ने भी राज्य की राजनीति में करीब एक साल पहले इंट्री मारी थी. उन्होंने पिछले साल मई में हमरो सिक्किम पार्टी की स्थापना की थी. क्लीन पॉलिटिक्स के नाम पर चुनाव लड़ रहे बाइचुंग ने ज़ी न्यूज डॉट कॉम को बताया कि पार्टी अभी नई है, लेकिन लोगों ने जो प्यार इस पार्टी को दिया है. उम्मीद है कि वो कुछ सीटों में परिवतित होगा.
वहीं हमरो सिक्किम पार्टी राज्य में 23 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता बिराज अधिकारी लोकसभा के उम्मीदवार हैं. कभी सिक्किम की राजनीति में सिक्किम क्रांतिकारी पार्टी के प्रवक्ता रहे एम एन दहल ने बताया कि राज्य में पैसे की चलती है. हालांकि लोग चामलिंग सरकार ने बहुत नाराज़ हैं. इसलिए परिवर्तन के लिए लोग वोट करेंगे.
साढे छह लाख की आबादी वाले सिक्किम में करीब 4.30 लाख वोटर हैं और 32 विधानसभा की सीटें हैं. जबकि जातियों की बात करें तो इसमें भूटिया, लेप्चा, लिंबु और तामांग के अलावा नेपाली वोटर बड़ी संख्या में है. जो कि मुख्य तौर पर वेस्ट और साउथ सिक्किम की सीटों पर असर डालते है. नेपाली वोटर भी इस बार परिवर्तन के मुड में दिख रहा है. अभी तक पवन चामलिंग को नेपाली वोट बड़ी संख्या में पड़ते थे. साथ ही उनके खिलाफ कोई पार्टी नहीं थी लेकिन कभी चामलिंग के राइट हैंड रहे पी एस तामांग जिनको सिक्किम के लोग पी एस गोले कहते हैं, ने सात साल पहले सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा का गठन किया, जो चामलिंग की एसडीएफ को कड़ी टक्कर दे रहा है.