Knowledge: भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. यहां समय-समय पर चुनाव होते हैं. ये तो सभी जनाते हैं कि चुनाव आयोजित कराने की पूरी जिम्मेदारी भारतीय निर्वाचन आयोग की होती है. वहीं, निर्वाचन आयोग का एक मुखिया होता है जिसे मुख्य चुनाव आयुक्त कहते हैं. क्या आपको पता है कि भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसी होती है? जाहिर है कम ही लोगों को इस बारे में पता होगा. ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाती है...


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निर्वाचन आयोग
भारतीय निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक और स्वतंत्र निकाय है, जिसे 25 जनवरी 1950 को स्थापित किया गया था. पहले इसमें एक मुख्य  चुनाव आयुक्त की पोस्ट हुआ करती थी, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया और दो अन्य चुनाव आयुक्त के पद बढ़ा दिए गए. आयोग द्वारा कोई भी निर्णय लेने में सभी चुनाव आयुक्तों की बराबर के भागीदार होते हैं.


ऐसे होती है चुनाव आयुक्त की नियुक्ति
चीफ इलेक्शन कमीश्नर और इलेक्शन कमीश्नर की नियुक्ति महामहिम राष्ट्रपति करते हैं. भारत में यह शक्तियां सिर्फ उन्हीं के पास हैं. इसका उल्लेख भारतीय संविधान के 324(2) में मिलता है. 


इतना है कार्यकाल
इलेक्शन कमीश्नर का कार्यकाल 6 साल का होता है या फिर इसके लिए 65 साल तक की अधिकतम आयु सीमा निर्धारित की गई है. इसमें जो भी अवधि पहले पूरी होती है, उस समय ऑफिसर को रिटायरमेंट लेना पड़ता है. 


सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर होता है पद
चीफ इलेक्शन कमीश्नर और इलेक्शन कमीश्नर का ओहदा सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर होता है. दोनों को मिलने वाली सुविधाएं भी बराबर ही होती हैं. हालांकि, अगर कोई व्यक्ति इलेक्शन कमीश्नर के किसी फैसले से खुश नहीं है, तो वह कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दे सकता है. 


राजनीति से नहीं होता कोई नाता  
मुख्य चुनाव आयुक्त का पद एक संवैधानिक पद है. इन्हें कोई भी फैसला निष्पक्ष रूप से करना होता है. हालांकि, अगर किसी कारणवश इलेक्शन कमीश्नर को हटाना पड़ जाए, तो संसद द्वारा महाभिायोग के जरिए ही यह प्रस्ताव पारित किया जा सकता है.