[caption id="attachment_2683" align="alignnone" width="264" caption="नेताजी सुभाष चन्द्र बोस"][/caption]
आजाद हिंद फौज में नेताजी का ड्राइवर बताने वाले निजामुद्दीन के मुताबिक सुभाष चंद्र बोस की मौत 1945 के प्लेन हादसे में नहीं हुई थी. 1942 में आजाद हिंद फौज में शामिल होने के बाद उन्होनें 4 साल नेताजी के साथ गुजारे थे. आजमगढ़ में इस्लामपुरा, बिलरियागंज में रहने वाले 107 साल के निजामुद्दीन खुद को आजाद हिंद फौज में नेताजी का ड्राइवर बताते हैं.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के रहस्य को सुलझाने के लिए कई कमिटी और कमिशन बिठाए गए , कितनी किताबें लिखी गईं , लेकिन नेताजी के इस सहयोगी और प्रत्यक्षदर्शी से किसी ने कभी संपर्क नहीं किया.
निजामुद्दीन कहते हैं , ‘ यह कैसे हो सकता है क्योंकि प्लेन हादसे के करीब 3-4 महीने बाद मैंने उन्हें कार से बर्मा और थाईलैंड की सीमा पर सितंगपुर नदी के किनारे छोड़ा.
हलांकि उन्हें यह नही पता कि नेताजी इसके बाद कहां गए.करीब 10 साल बाद निजामुद्दीन की मुलाकात नेताजी के करीबी एक स्वामी से हुई थी. स्वामी नेताजी के संपर्क में थे.
निजामुद्दीन के पास एक सर्टिफिकेट भी है जो आजाद हिंद फौज से उनका संबंध दिखाता है. इस सर्टिफिकेट से यह भी पता चलता है कि स्वामी का पूरा नाम एसवी स्वामी था और वह राहत और देश - प्रत्यावर्तन काउंसिल , पूर्व आजाद हिंद फौज और गठबंधन , रंगून के चेयरमैन थे. 1969 में निजामुद्दीन अपने परिवार के साथ भारत लौट आए.
निजामुद्दीन के मुताबिक वह नेताजी के साथ ही रहना चाहते थे , लेकिन नेताजी ने उन्हें आजाद भारत में मिलने का वादा करके वापस भेज दिया था.