Jute Farming: किसान नकदी फसलों को उगाकर खेती के माध्यम से ही मोटा पैसा कमा सकते हैं. किसान केवल पारंपरिक फसलों की खेती तक ही सीमित ना रहें और खेती के जरिए अच्छी कमाई कर सके इस मकसद के साथ केंद्र और राज्य सरकारें नकदी फसलों को बढ़ावा दे रही है. पारंपरिक खेती की अलग कोई फसल लगाना चाहते हैं तो जूट एक बेहतर विकल्प है.


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बात करें पिछले कुछ वर्षों की तो जूट सबसे ज्यादा उपयोगी नेचुरल फाइबर बनकर उभरा है. प्रकृति अनुकूल प्रोडक्ट्स में जूट की उपयोगिता को देखते हुए ही कई राज्यों में इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे और कब जूट की फसल लगाई जा सकती है...


जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में किया इजाफा
किसानों को बेहतर दाम दिलाने और जूट का रकबा बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने जूट की कीमतों में इजाफा कर दिया गया है. जूट की बुवाई गेहूं और सरसों की कटाई के बाद मार्च से अप्रैल के बीच ही की जाती है. किसान चाहें तो खरीफ सीजन से पहले ही जूट की फसल लगा सकते हैं. जूट एक नेचुरल फाइबर है, जिसकी डिमांड पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से बढ़ी है.


अगर आप जूट की फसल लगाते हैं तो यह आपके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. केंद्र सरकार ने साल 2023- 24 के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 6 फीसदी की बढ़ोतरी की है. अनाज की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली बोरियां जूट से ही बनाई जाती हैं. केंद्र और राज्य सरकारें किसानों से जूट के कुल उत्पादन का 70 फीसदी भाग खरीद लेती हैं. 


जूट के बड़े उत्पादक राज्य
आमतौर पर सभी राज्यों में वहां पाई जाने वाली मिट्टी और जलवायु के मुताबिक ही फसलें बोई जाती हैं. वहीं, कुछ खास किस्म की फसलों के लिए मिट्टी और जलवायु अनूकुल होना बहुत जरूरी है. जूट की खेती पूर्वी भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. इसमें बिहार, त्रिपुरा, असम, मेघालय शामिल है. वहीं, उत्तर प्रदेश में भी जूट बोया जाता है. 


जूट है नकदी फसल 
जूट का पौधा कोमल, लंबा और चमकदार होता है. इन पौधों से रेशा इकट्ठा करके मोटा सूत या धागा बनाया जाता है. जूट के धागे से कई चीजें तैयार की जाती है. इसमें सजावटी सामान, बैग, परदे, दरी, टोकरियां आदि शामिल हैं. जूट के प्लांट से लुगदी बनाती है. इसे कागज और कुर्सियां बनाई जाती हैं. जूट की डिमांड में तेजी से उछाल आया है. ऐसे में आप इस खेती से मोटा पैसा कमाने का अवसर हाथ से न जाने दें.