उद्योग संगठन SEA ने बृहस्पतिवार को चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मानसून की धीमी प्रगति के कारण चालू खरीफ सत्र में तिलहनों की बुवाई में देरी हो रही है. संभावित अल नीनो स्थिति के कारण उत्पादन प्रभावित हो सकता है. इसमें कहा गया है कि तिलहनों की बुवाई का रकबा पिछले सप्ताह तक कम यानी 4.1 लाख हेक्टेयर रहा है, जो साल भर पहले खरीफ सत्र 2022-23 की इसी अवधि में 4.8 लाख हेक्टेयर था.


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SEA के झुनझुनवाला ने लिखा लेटर
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अजय झुनझुनवाला ने सदस्यों को लिखे एक लेटर में कहा है कि केरल में मानसून की शुरुआत में एक सप्ताह की देरी हो रही है और मानसून की धीमी प्रगति के कारण ज्यादातर राज्यों में बुवाई में देरी हो रही है. 


IMD ने दी जानकारी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने लगभग सामान्य मानसून रहने का अनुमान लगाया है. हालांकि, अल नीनो पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है और यह सामान्य मानसून की संभावना को कम कर सकता है, जो अगले तेल वर्ष 2023-24 में खरीफ की फसल और वनस्पति तेलों की घरेलू उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है. 


किसानों को मिल रहा MSP का फायदा
किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, झुनझुनवाला ने कहा कि एसईए किसानों को एमएसपी का समर्थन देने के कदम का स्वागत करता है, लेकिन सरकार को एमएसपी का बचाव जरूर करना चाहिए.


मंडी में क्या है भाव?
मौजूदा समय में रेपसीड का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले बाजार में भाव 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में सूरजमुखी के बीज की मंडी कीमत 6,400 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से कम है, जिससे किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. 


कितनी है सरसों की कीमत?
सरसों किसान हतोत्साहित हैं क्योंकि बुवाई के समय (अक्टूबर 2022 में) कीमतें 7,000-7,500 रुपये प्रति क्विंटल थीं, लेकिन वर्तमान में किसानों को 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल मिल रही है.


91.68 लाख टन का खाद्य तेल का आयात हुआ
उन्होंने कहा है कि इससे इस खरीफ सत्र में सोयाबीन और रबी सत्र में सरसों खेती के रकबे में कमी और तिलहन के कुल उत्पादन पर असर पड़ सकता है. भारत वनस्पति तेलों के आयात पर निर्भर है. एसईए आंकड़ों के मुताबिक, इस साल के पहले सात महीनों में मई तक देश में 91.68 लाख टन का खाद्य तेल का आयात हुआ, जो पिछले साल के 77.68 लाख टन से 18 प्रतिशत अधिक है.