Export of Basmati Rice: देशभर में तेजी से बढ़ रही महंगाई को रोकने के लिए सरकार (Central Government) की तरफ से कई खास कदम उठाए जा रहे हैं. अब सरकार ने प्रीमियम बासमती चावल (Basmati Rice) की आड़ में सफेद गैर-बासमती चावल के ‘अवैध’ निर्यात को रोकने के लिए 1,200 डॉलर प्रति टन से कम दाम के बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है. इस फैसले का असर चावल की कीमतों पर भी पड़ेगा. 


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वाणिज्य मंत्रालय की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, ट्रेड प्रमोशन बॉडी एग्रीकल्चर और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) को 1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे के अनुबंधों को पंजीकृत नहीं करने का निर्देश दिया है. मौजूदा 1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे के अनुबंधों को स्थगित रखा गया है.


समिति का किया जाएगा गठन
भविष्य के लिए APEDA के चेयरमैन की अगुवाई में एक समिति गठित की जाएगी. चावल की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत केंद्र सरकार घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है.


टूटे हुए चावल पर लगाया प्रतिबंध
पिछले साल सितंबर में उसने टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि पिछले महीने उसने गैर-बासमती सफेद चावल पर प्रतिबंध लगाया था. पिछले सप्ताह, उसना गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था. इन प्रतिबंधों के साथ भारत ने अब गैर-बासमती चावल की सभी किस्मों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.


वाणिज्य मंत्रालय ने जारी किया बयान
वाणिज्य मंत्रालय के बयान के मुताबिक, सरकार ने बासमती चावल की आड़ में सफेद गैर-बासमती चावल के संभावित अवैध निर्यात को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय शुरू करने के लिए एपीडा को निर्देश जारी किए हैं.


RCAC किया जारी
निर्देशों के मुताबिक, केवल 1,200 डॉलर प्रति टन और उससे अधिक मूल्य वाले बासमती निर्यात के अनुबंधों को पंजीकरण - सह - आवंटन प्रमाणपत्र (RCAC) जारी करने के लिए पंजीकृत किया जाना चाहिए. विदेश व्यापार नीति के मुताबिक, एपीडा को बासमती चावल के निर्यात के लिए सभी अनुबंधों को पंजीकृत करना अनिवार्य है और फिर यह बासमती चावल के निर्यात के लिए आरसीएसी जारी करता है.


इनपुट - भाषा एजेंसी