Anil Ambani Business: अनिल अंबानी का जन्म 4 जून 1959 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता धीरूभाई अंबानी और मां का नाम कोकिला अंबानी हैं. धीरूभाई अंबानी एक कारोबारी थे जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की थी. वर्ष 2002 में उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के बाद रिलायंस समूह दोनों भाइयों यानी मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच बंट गया.


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रिलायंस
पिता धीरूभाई के विशाल रिलायंस बिजनेस के सार्वजनिक विभाजन के बाद तेजतर्रार अरबपति अनिल अंबानी को दुनिया के नए कारोबारी के तौर पर देखा गया. छोटे बेटे अनिल को नए युग के व्यवसाय मिले, जिनमें भविष्य शानदार था. जबकि उनके बड़े भाई मुकेश को विरासत में मिली रिलायंस कंपनियों से काम चलाना था. 2008 तक अनिल ने अपने भाई को पीछे छोड़ते हुए 42 अरब डॉलर की संपत्ति हासिल की और दुनिया के छठे सबसे अमीर आदमी बन गए.


उलट गई पूरी स्थिति
सभी ने अनिल अंबानी को धीरूभाई अंबानी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उत्तराधिकारी के रूप में देखा लेकिन अनिल के शिखर तक पहुंचने के बाद डेढ़ दशक में पूरी स्थिति पूरी उलट गई है. आज मुकेश अंबानी अकल्पनीय संपत्ति के साथ एशिया के सबसे अमीर आदमी हैं. दूसरी ओर अनिल अंबानी कि संपत्ति अब शून्य हो चुकी है. अनिल अंबानी की कंपनियां एक के बाद एक दीवालिया होती गई. अब रिपोर्ट्स है कि अनिल अंबानी की डिफेंस कंपनी भी दीवालिया हो चुकी है. 


एक साल में अपनी नेटवर्थ में 30 अरब डॉलर जोड़ने से लेकर दिवालियापन होने तक आखिर अनिल अंबानी ने क्या-क्या फाइनेंशियल मिस्टेक की? आइए जानते हैं इनके बारे में...


प्लानिंग की कमी
अनिल अंबानी को कारोबार बढ़ाने की जल्दी थी. इस जल्दबाजी के कारण वो सटीक प्लानिंग किसी भी कारोबार की नहीं बना पाए. बिना तैयारी और बिना प्लानिंग के वो एक के बाद एक ने नए प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाते गए, जिसका नुकसान उन्हें आगे उठाना पड़ा.


अनुमान से ज्यादा लागत
जब कारोबार बढ़ाने की जल्दी में अनिल अंबानी ने अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाना शुरू किया तो लागत काफी ज्यादा आने लगी. यह लागत अनुमान से ज्यादा थी, जिसके कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा.


कर्ज का चक्कर
नए कारोबार एक साथ शुरू करने और कारोबार में लागत ज्यादा आने के कारण अनिल अंबानी को कर्ज भी लेना पड़ा. धीरे-धीरे अनिल अंबानी कर्ज के जाल में फंस गए. ऐसे में कर्ज चुकाने और कर्ज के ब्याज को चुकाने में अनिल अंबानी को काफी मशक्कत करनी पड़ी और वो आजतक अपना पूरा कर्ज भी नहीं चुका पाए हैं. ज्यादातर फैसले महत्वाकांक्षाओं के कारण लिए गए, जिसके कारण कर्ज बढ़ता चला गया और साल 2008 की मंदी में उन्हें बड़ा झटका लगा.


एक जगह पर फोकस नहीं
अनिल अंबानी ने एक बिजनेस पर फोकस नहीं किया. वो अलग-अलग बिजनेस की शुरुआत करते गए. इससे वो कहीं पर भी ठीक से फोकस नहीं कर पाए. साथ ही अलग-अलग बिजनेस की शुरुआत के कारण पैसा भी अटकता चला गया.


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