Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था प्रतिकूल वैश्विक माहौल के बीच अच्छा प्रदर्शन कर रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल ने यह बात कही है. उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पिछले नौ साल के दौरान कई सुधार लागू किए हैं, जिससे महत्वपूर्ण वृहद आर्थिक संकेतक बेहतर हुए हैं. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को अभी अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए काफी लंबा रास्ता तय करना है.


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पीयूष गोयल ने दी जानकारी


गोयल ने पीटीआई-भाषा से कहा है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को विरासत में एक मजबूत अर्थव्यवस्था मिली थी और साथ ही उस दौर की ऊंची वृद्धि से भी उसे लाभ हुआ था. उन्होंने कहा कि 2008 के बाद वैश्विक आर्थिक संकट के प्रभाव और भ्रष्टाचार से जुड़े घोटालों से अर्थव्यवस्था कमजोर हुई. उनसे पूछा गया था कि वह संप्रग सरकार के 10 साल (2004-14) और मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के नौ साल के कार्यकाल के प्रदर्शन की तुलना कैसे करेंगी.


हुआ है सुधार


उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को दोहरा घाटा, ऊंची मुद्रास्फीति और कमजोर बैंक विरासत में मिले थे लेकिन उन्होंने इन सभी में सुधार किया है और अन्य सुधारों को भी लागू किया है. इसी कारण एक प्रतिकूल वैश्विक वातावरण में भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है.


तिमाही आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया


कुछ अमेरिकी अर्थशास्त्रियों के इस दावे कि भारत आर्थिक वृद्धि को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है, गोयल ने कहा कि तिमाही आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जा सकता. ये आंकड़े मौसमी और आधार प्रभाव के साथ-साथ ‘माप’ के मुद्दों पर आधारित होते हैं. उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की वृद्धि दर आधार प्रभाव की वजह से ऊंची रही है. 2020-21 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.2 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई थी.


पहली तिमाही में कैसी रही ग्रोथ


उन्होंने कहा कि 2021-22 की पहली तिमाही में वृद्धि दर 21.6 प्रतिशत रही. 2022-23 की पहली तिमाही में यह 13.1 प्रतिशत और 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत रही है. भारत की 2023-24 की अप्रैल-जून अवधि की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही है, जो पिछली चार तिमाहियों का सबसे ऊंचा स्तर है.


पिछले 3 सालों में कैसी रही रफ्तार


गोयल ने कहा कि पिछले तीन वित्त वर्षों में वृद्धि दर क्रमश: नकारात्मक 6.6 प्रतिशत, 9.1 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत रही है. इससे पता चलता है कि आधार प्रभाव का असर धीरे-धीरे कम हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘सभी प्रकार के आंकड़े बताते हैं कि वृद्धि मजबूत है’’ उन्होंने कहा कि वैश्विक सुस्ती के बीच छह प्रतिशत की सालाना वृद्धि को काफी शानदार माना जाएगा.


इनपुट - भाषा एजेंसी के साथ