Plants Cutting Technology: हर क्षेत्र में कुछ ऐसे तरीके होते हैं, जिन्हें अपनाकर आप बेहतर ग्रोथ हासिल कर सकते हैं. इसी तरह खेती में भी कुछ टिप्स होते हैं जो अच्छी पैदावार पाने के लिए अपनाए जाए तो बढ़िया मुनाफा होता है. किसान हो या फिर किचन गार्डनिंग (Kitchen Gardening) के शौकीन, हर किसी को खेती के कुछ टिप्स (how to do 2G 3G Cutting) पता होने बहुत जरूरी हैं.


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आज हम आपके लिए पौधों की कटिंग से जुड़े ऐसे ही जबरदस्त टिप्स (Kitchen Gardening Tips) लेकर आए हैं. जिस तरह से नेटवर्क जनरेशन टेक्नोलॉजी हमारे मोबाइल, टीवी, लैपटॉप आदि गैजेट्स के लिए स्पीड बूस्टर की काम करती है, उसी तरह से पौधों में भी इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. इसे 2जी, 3जी या 4जी कटिंग कहा जाता है. इस कटिंग से आप अपने पौधों से ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं. आइए जानते हैं कि पौधों को कब, कहां से और कितना काटना है, ताकि छोटे से पौधे से ढेर सारी सब्जियां और फल ले सके. 


जानें क्या है ये कटिंग टेक्नोलॉजी
पौधों की ग्रोथ के लिए उसे जरूरी पोषण के लिए खाद, पानी देने के साथ ही समय-समय पर कटिंग की भी जरूरत होती है. आइए समझते हैं कि क्या है कटिंग टेक्नोलॉजी दरअसल, पौधे की पहली शाखा पहली जनरेशन होती है, जिसे 1जी कहते हैं. उसी शाखा से जो शाखाएं निकलती हैं, वह दूसरी जनरेशन होगी, जिसे 2जी कहा जाता है. वहीं, दूसरी जनरेशन वाली शाखा से जो शाखाएं निकलती हैं, वह तीसरी जनरेशन यानी कि 3जी कहलाती है. इसी तरह आगे की शाखाएं 4थी और 5वीं जनरेशन कहलाती हैं. 


कैसे होती है 2जी, 3जी कटिंग?
पौधो में होने वाली इस कटिंग टेक्नोलॉजी में सबसे बेहतर 2जी और 3जी कटिंग को माना जाता है. जब पौधे की शाखा लगभग 1 मीटर लंबी हो जाती है और उसमें 6-7 पत्तियां दिखने लगती हैं तो उसके ऊपरी हिस्से को काट दिया जाता है.


इसके बाद वह शाखा ऊपर की तरफ ज्यादा नहीं बढ़ पाती, बल्कि इससे दूसरी शाखाएं निकलने लगती हैं, जो जनरेशन की होती हैं. इन 2जी शाखाओं को भी 1 मीटर का होने दिया जाता है, इसके बाद इसे काट दिया जाता है, जिससे तीसरी जनरेशन की शाखाएं निकलने लगती है. 


जानें क्या है इस कटिंग का फायदा
पहली जनरेशन की शाखा में जो फूल लगते हैं, वह मेल फ्लावर होते हैं. इससे फल नहीं बनते हैं, बल्कि फीमेल फ्लावर से फल बनते हैं. दूसरी जनरेशन की शाखा में हर दूसरी पत्ती के पास फीमेल फ्लावर होता है. इससे फल लगने के बहुत ज्यादा चांस होते हैं.


जबकि, तीसरी जनरेशन की हर पत्ती के पास हर पत्ती के पास मादा फूल लगता है. मादा फूल से ही फल बनते हैं. 3जी कटिंग के बाद आपके पौधे में बहुत सारे मादा फूल लगेंगे, जिसके कारण छोटे पौधों से ज्यादा पैदावार मिलती है. इस तरह आप केवल कटिंग के माध्यम से ही ज्यादा से ज्यादा फल पा सकते हैं. 


इन पौधों में होती है 2जी, 3जी कटिंग 
उन सभी पौधों में इस तरह से कटिंग की जाती है, जिसमें ज्यादा शाखाएं निकलती हैं. हर बेल वाली सब्जी की 3जी कटिंग होती है, जैसे लौकी, खीरा, कद्दू, ककड़ी, करेला आदि. इन कटिंग का इस्तेमाल करके लोग अपने किचन गार्डन में लगे पौधों से भी ज्यादा पैदावार ले सकते हैं.