Akbar Era Ambani Adani: अकबर के शासनकाल में कई ऐसे धनी व्यापारी हुए जिन्हें उनकी दौलत के लिए जाना जाता था. आज हम आपको उसी समय के एक बड़े व्यापारी के बारे में बताएंगे. वीरजी वोरा एक सूरती व्यापारी थे, हालांकि उनका जन्म 1590 में हुआ था. वीरजी वोरा इतने अमीर थे कि खुद मुगलों को भी उनसे कभी-कभी लोन लेना पड़ता था. वो न सिर्फ मोटा व्यापार करते थे बल्कि लोन भी देते थे. वो इलायची, सोना, मूंगा, हाथी दांत और सीसा जैसी चीज़ों का व्यापार करते थे.


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अकेले ही खरीद लेते थे काली मिर्च


उनकी दौलत का एक उदाहरण ये है कि एक बार उन्होंने सूरत में आने वाली सारी काली मिर्च अकेले ही खरीद ली थी. जहां अंग्रेजों को सूरत की फैक्ट्री से 16 रुपये प्रति मन के हिसाब से 10 हजार मन काली मिर्च लेनी थी, वीरजी वोरा ने 16.25 रुपये प्रति मन मांगे और साथ ही उनसे ये भी कहा कि वो कम दाम में उन्हें 25 संदूक मूंगा बेचें. दरअसल, उस वक्त सूरत में सारी काली मिर्च सिर्फ उन्हीं के पास थी.


अंग्रेजों से कुछ ऐसे लेते थे पंगा


यही नहीं, जब दक्षिण भारत के व्यापारी नई काली मिर्च लेकर सूरत आते थे, तो वो उसे भी पूरा खरीद लेते थे. एक बार अंग्रेजों ने किसी और जगह से काली मिर्च लाने की कोशिश की, तो वीरजी वोरा ने अपने आदमियों को कह दिया कि वो उस सारी काली मिर्च को अंग्रेजों से थोड़े ज्यादा दाम में खरीद लें.


वीरजी वोरा और मुल्ला अब्दुल गफूर दोनों ही प्रमुख जहाज व्यापारी थे. खास बात यह है कि अब्दुल गफूर भी सूरत के ही रहने वाले थे. उन्हें अपने दौर के सबसे धनी व्यापारियों में से एक माना जाता है. जगत सेठ परिवार, एक बंगाली व्यापारी, बैंकर और ऋणदाता परिवार भी 17वीं सदी में ही अस्तित्व में आया.