Reasons for different colors of cylinders: हम सबने घर की रसोई में इस्तेमाल होने वाले गैस सिलेंडर तो खूब देखे होंगे. उनका रंग लाल होता है और उनमें लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस यानी LPG भरी होती है. इस गैस को आग दिखाने पर धीरे-धीरे जलने लगती है, जिससे आप खाना बना सकते हैं या फिर चूल्हे पर कोई भी दूसरा काम कर सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एलपीजी गैस के अलावा कई सारे दूसरे सिलेंडर भी आते हैं, जिनका रंग काला, सफेद, नीला, क्रीम जैसा होता है. आखिर उन सिलेंडरों में ऐसा क्या होता है कि उनका रंग अलग रखा जाता है. ऐसे ही कई सवाल अक्सर आपके मन में आते होंगे, जिनके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं. 


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ग्रे कलर के सिलेंडर में होती है ये गैस


सबसे पहले आपको बताते हैं कि लाल रंग के सिलेंडर (Cylinder Colors) में LPG भरी जाती है, जिसे जलाकर आप चूल्हे पर कोई भी चीज गरम कर सकते हैं या फिर खाना बना सकते हैं. वहीं ग्रे कलर के सिलेंडर में कार्बन डाइऑक्साइड गैस भरी होती है. इस गैस का इस्तेमाल फैक्ट्रियों में किया जाता है या बिजनेस पर्पज से किया जाता है. 


नाइट्रोजन गैस भरी होती है इस सिलेंडर में


भूरे रंग यानी क्रीम कलर के सिलेंडर (Cylinder Colors) में हीलियम गैस भरी होती है. इस गैस का इस्तेमाल गुब्बारों में भरने के लिए किया जाता है, जिससे वे हल्के होकर ऊपर उड़ने लगते हैं. काले रंग के सिलेंडर में नाइट्रोजन गैस भरी होती है. इस गैस का इस्तेमाल टायरों में हवा भरने और आइसक्रीम बनाने में किया जाता है. 


इस सिलेंडर में भरी होती है लॉफिंग गैस


नीले रंग के सिलेंडर में नाइट्रस ऑक्साइड गैस भरी जाती है. इसे 'लाफिंग गैस' भी कहा जाता है. इस गैस को सूंघने मात्र से इंसान हंसता रह जाता है. वहीं सफेद रंग के सिलेंडर (Cylinder Colors) में ऑक्सीजन गैस भरी होती है. यह सिलेंडर आमतौर पर अस्पतालों में रखा जाता है. 


सिलेंडर का रंग अलग-अलग रखने की वजह 


सिलेंडरों का रंग (Cylinder Colors) अलग-अलग रखने की खास वजह है. असल में इन सब सिलेंडरों में अलग-अलग गैस भरी होती है, जिसका इस्तेमाल भी अलग-अलग जगह होता है. अगर हम एक ही रंग के सिलेंडरों में सभी तरह की गैस भरने लगें तो इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. जिसे टालने के लिए सिलेंडरों का रंग अलग-अलग करने का फैसला किया गया.