Middle Class Calculations: एक दिलचस्प विवाद ने ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चर्चा का विषय बना दिया है. सौरव दत्ता ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यह दावा किया कि 25 लाख रुपये की सालाना आमदनी पर घर चलाना मुश्किल है. उनके इस पोस्ट ने लोगों के बीच आर्थिक प्राथमिकताओं को लेकर अलग-अलग राय उत्पन्न की. ग्लासडोर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में औसत सालाना सैलरी लगभग 9.45 लाख रुपये है, जबकि मासिक आय 8,000 से 1.43 लाख रुपये तक होती है.


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हर महीने सैलरी लगभग 20 हजार रुपये महीना


एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में औसत सैलरी 20,730 रुपये है, जबकि गुजरात में यह लगभग 18,880 रुपये है. फोर्ब्स की एक सर्वे में यह भी बताया गया कि पुरुष कर्मचारियों की औसत आय 19.53 लाख रुपये है, जबकि महिला कर्मचारियों की औसत आय 15.16 लाख रुपये है. इन आंकड़ों के बावजूद, आय का परिदृश्य काफी अलग है, कुछ लोग करोड़ों कमाते हैं जबकि अन्य मध्यम आय में गुजारा करते हैं.


सरकार के अनुसार, 27,000 रुपये से अधिक सालाना कमाने वाले परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाता है, लेकिन यह आंकड़ा राज्यों के अनुसार भिन्न हो सकता है. ऐसे में सौरव दत्ता का यह कहना कि 25 लाख रुपये एक परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है, सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स की आलोचना का कारण बना.


कम से कम मासिक आय लगभग 1.5 लाख रुपये


सौरव दत्ता ने अपने खर्चों का विवरण देते हुए कहा कि 25 लाख रुपये की सालाना आय का मतलब है कि उनकी मासिक आय लगभग 1.5 लाख रुपये है. उन्होंने बताया कि एक तीन सदस्यीय परिवार के लिए आवश्यक खर्च लगभग 1 लाख रुपये हो जाता है, जिससे बचत का कोई खास स्थान नहीं बचता. उन्होंने अपने खर्चों में 25,000 रुपये खाने-पीने, मनोरंजन और यात्रा के लिए तथा 25,000 रुपये आपातकालीन और चिकित्सा जरूरतों के लिए अलग रखे हैं. सौरव दत्ता के इस पोस्ट पर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रहीं. 


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कुछ यूजर्स ने उनके विचारों को खारिज करते हुए कहा कि सही बजट बनाकर और बिना कर्ज के 25 लाख रुपये की आय से एक आरामदायक जीवन व्यतीत किया जा सकता है. एक यूजर्स ने लिखा, "स्मार्ट खर्च से, इतनी आय से कुछ ही सालों में संपत्ति बढ़ाई जा सकती है." हालांकि, अन्य लोगों ने उनके खर्च करने की आदतों पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक परिवार जो 25,000 रुपये मनोरंजन पर खर्च कर रहा है, वह कैसे बचत की बात कर सकता है. एक अन्य ने कहा कि अगर एक परिवार की चिकित्सा खर्च ज्यादा हैं, तो वे बाहर खाने पर इतना खर्च नहीं कर सकते.