Vegetarian Facts: शाकाहारी बनना है या मांसाहारी बनना हर किसी का अपना फैसला होता है. हालांकि ये सीधे पर्यावरण पर असर करता है. कुछ लोग जहां मांसाहारी होने के पाप मानते हैं तो वहीं कुछ लोगों का खाना नॉनवेज के बिना पूरा ही नहीं होता है. आज हम आपको एक ऐसे दिलचस्प फैक्ट बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप पक्का ही हैरान रह जाएंगे. हम आपको बताएंगे कि आखिर पूरी दुनिया नॉन वेज खाना छोड़ दे और वेजिटेरियन बन जाए तो वो पर्यावरण पर इसका कैसा असर पड़ेगा.


सीधे पर्यावरण पर असर


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यूं तो कुछ लोग नॉनवेज खाने के अपने अलग ही तर्क पेश करते हैं तो वहीं शाकाहारी लोग इसके नुकसान गिनाते रहते हैं. लेकिन आपको बता दें कि अगर पूरी तरह शाकाहारी जाए तो पर्यावरण को बहुत फायदा. दरअसल, इंसान भी उसी इकोसिस्टम या पर्यावरण का हिस्सा है जिसके अन्य जीव जंतु हैं. ऐसे में हर किसी की गतिविधियां सीधे पर्यावरण पर असर डालती हैं.


हैरान करने वाली बात


आपको जानकर हैरानी होगी कि मांस खाने से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा रिलीज होती है. साइंटिफिक अमेरिका वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार आधा पाउंड यानी करीब 226 ग्राम आलू पैदा करने में उतनी ही कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है जितनी एक छोटी कार को 0.2 किलोमीटर की दूरी तक चलाने में कार्बन निकलता है. वहीं उतना ही ग्राम बीफ उतना कार्बन रिलीज करता है जितना उसी कार को 12.7 किलोमीटर दूर चलाया जाए.


ग्रीनहाउस गैस कम हो जाएंगी कम


ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च के मुताबिक अगर दुनिया के अधिकतर लोग भी ऐसी डाइट अपना लेते हैं जिसमें सिर्फ फल और सब्जियां शामिल हैं तो बड़ी मात्रा में धरती से ग्रीनहाउस गैस कम हो जाएंगी.


कैसा होगा लोगों पर असर?


मीट पैदा करने में पानी का ज्यादा उपयोग होता है, बल्कि फल और सब्जियां पैदा करने में पानी का कम से कम इस्तेमाल होता है. जहां गन्ने को पैदा करने में 1-2 क्यूबिक मीटर टन पानी का इस्तेमाल होता है, सब्जियों को पैदा करने में भी लगभग उतना ही, वहीं बीफ पैदा करने में 15 हजार क्यूबिक मीटर टन से ज्यादा पानी लगता है.


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