Untold Mughal History: मुगलों ने 300 साल तक भारत पर राज किया. लेकिन उस दौर में भारत में जो सबसे भयानक समस्या थी, वह भी अकाल. हिंदुस्तान के तब दो पहलू थे. पहला सोने की चिड़िया वाला हिंदुस्तान, जहां के सोने-चांदी, धन-जवाहरात देख यूरोप की नजरें फटी रह जाती थीं. और दूसरा भूख से बेहाल भारत, जहां लोगों की सिर्फ हड्डियां और लाशें नजर आती थीं. 


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मुगल शासन में एक वक्त वह भी था, जब इंसानों की लाशों के ढेर लग गए थे. किताबों में तो यहां तक लिखा है कि मांओं ने बच्चों को मारकर खा लिया. औरंगजेब के समय का इतालवी यात्री निकोलो मनूची के मुताबिक साल 1702-04 के बीच जो अकाल पड़ा, उसमें 20 लाख से ज्यादा लोग मौत की नींद सो गए थे. आलम यह था कि भूख से बेहाल माता-पिता ने बच्चों को आठ-आठ आने में बेच डाला था. इन लोगों के पास न तो खाने को अनाज था और न ही पैसा.


शाहजहां के राज में बेहद भयानक तस्वीर देखने को मिलती है. शाहजहां के जरूरत से ज्यादा खर्च और सैन्य अभियानों के कारण अकाल ने विकराल रूप ले लिया. गुजरात और दक्कन में लोगों की मौत होने लगी. कम से कम 30 लाख लोगों को मौत ने अपने आगोश में ले लिया. 


शाहजहां के काल में इतिहास लिखने वाले उस्ताद अहमद लाहौरी ने कहा कि एक रोटी के लिए लोग अपने रिश्तेदार का कत्ल करने को तैयार थे. हालात ऐसे हो गए थे कि लोग एक-दूसरे को मारकर खाने को राजी थे. बारिश भी इतनी कम हुई थी कि एक दाना भी नहीं उगा. लोगों के मवेशी मर गए. गांव, कस्बे और खेतों में लाशों का अंबार नजर आता था. हर जगह बदबू फैली हुई थी. 


हालत इतने भयावह हो गए थे कि लोगों ने अपनी पत्नियों और बच्चों को छोड़ दिया. औरतें अपनी बोली लगाने लग गईं. बच्चों तक को बेचने की नौबत आ गई. जिन बच्चों को उनके माता-पिता ने छोड़ दिया था, वे खुद को बेचने में लग गए थे. परिवार के लोग जहर खा रहे थे या नदियों में कूदकर जान दे रहे थे. एक डच यात्री वैन ट्विस्ट ने तो यहां तक लिखा कि एक महिला ने न सिर्फ अपने बच्चे को जान से मारा बल्कि उसको पकाकर खुद खाया और पति को भी खिला दिया. सबसे भयानक अकाल 1630 से 1632 के बीच शाहजहां के बीच पड़ा था. 


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