Dinosaur News: वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन और मानवजनित CO2 उत्सर्जन के कारण डायनासोरों की वापसी हो सकती है. उनका कहना है कि 294 मिलियन साल पहले ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के स्तर में वृद्धि ने सरीसृपों और उनके डायनासोर वंशजों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्रयूज के विशेषज्ञों ने किया है.


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वैश्विक तापन और डायनासोरों के विकास का संबंध


सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय की डॉ. हाना जूरीकोवा ने कहा, "लेट पैलेओजोइक आइस एज का अंत जीवन और पर्यावरण के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जो सरीसृपों के उत्थान का कारण बना." उनके सहकर्मी डॉ. जेम्स रे ने कहा, "CO2 उत्सर्जन ने वैश्विक तापन और समुद्र स्तर में वृद्धि को प्रेरित किया. और अगर इसे अनियंत्रित छोड़ा गया, तो भविष्य में भी ऐसा हो सकता है."


डायनासोरों का पृथ्वी पर अस्तित्व 66 मिलियन साल पहले क्रीटेशियस युग के अंत में समाप्त हो गया था. वैज्ञानिकों के अनुसार, 335 से 294 मिलियन साल पहले पृथ्वी पर CO2 का स्तर काफी कम था. लेकिन 294 मिलियन साल पहले विशाल ज्वालामुखी विस्फोटों ने वातावरण में CO2 की बड़ी मात्रा को छोड़ दिया, जिससे ग्रह गर्म हो गया और बर्फ पिघलने लगी.


अंतरिक्ष के शोध और प्राचीन जीवाश्मों का विश्लेषण


सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय और अन्य नौ संस्थाओं के वैज्ञानिकों ने 'नेचर जियोसाइंस' जर्नल में अपने शोध के परिणाम प्रकाशित किए. इस अध्ययन में प्राचीन ब्राचिओपॉड शेल्स (क्लैम जैसे जीवों के जीवाश्म) के रासायनिक निशानों का विश्लेषण किया गया. ये जीव 335 से 294 मिलियन साल पहले पृथ्वी पर रहते थे. इस अध्ययन से पता चलता है कि CO2 स्तर का महत्वपूर्ण प्रभाव पृथ्वी के तापन और शीतलन पर पड़ता है.


डायनासोरों के विलुप्त होने के बाद यह गैप पारिस्थितिकी तंत्र में भरने के लिए केवल बचे हुए डायनासोर—पक्षी—और स्तनधारी प्राणियों ने भर दिया. वैज्ञानिकों के अनुसार, डायनासोरों की विलुप्ति का कारण एक अचानक विनाशकारी घटना हो सकती है, जैसे एक उल्का प्रभाव या अन्य ज्वालामुखीय विस्फोट. इस घटना के बाद जीवन में एक नया मोड़ आया, और स्तनधारी और पक्षी तेजी से विकसित हुए.


मानवता का अस्तित्व और डायनासोरों से तुलना


यदि डायनासोरों के समय की तुलना करें, तो मानवता का अस्तित्व बहुत हाल में ही शुरू हुआ है. मनुष्य के पूर्वज केवल छह मिलियन साल पहले अस्तित्व में आए थे, और आधुनिक मानव 300,000 साल पहले अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे. यह शोध यह चेतावनी देता है कि अगर CO2 उत्सर्जन पर काबू नहीं पाया गया, तो यह भविष्य में फिर से एक नया बदलाव ला सकता है, जैसा कि डायनासोरों के समय हुआ था.