Success Story: वैज्ञानिक बने, ISRO में मिली ड्रीम जॉब, फिर भी छोड़ी नौकरी; अब कमा रहे इतने रुपये
Success Story ISRO Scientist: कई लोग हैं जो अपना खुद का सफलता का मार्ग बनाते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा के रूप में उभरते हैं. ऐसा ही एक व्यक्ति है उथया कुमार, जो तमिलनाडु के एक छोटे जिले से ताल्लुक रखते हैं, जिन्होंने ISRO में वैज्ञानिक के रूप में अपनी नौकरी छोड़ दी और
Success Story Uthaya Kumar: कई लोग हैं जो अपना खुद का सफलता का मार्ग बनाते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा के रूप में उभरते हैं. ऐसा ही एक व्यक्ति है उथया कुमार, जो तमिलनाडु के एक छोटे जिले से ताल्लुक रखते हैं, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में वैज्ञानिक के रूप में अपनी नौकरी छोड़ दी और ST कैब्स के नाम से अपना टैक्सी बिजनेस शुरू किया. 2017 में, उथया कुमार ने अपने साथियों की मदद से अपने माता-पिता सुकुमारन और तुलसी को श्रद्धांजलि के रूप में ST कैब्स की शुरुआत की. अब, उनकी कंपनी का सालाना कारोबार दो करोड़ रुपये है. उथया कुमार टैक्सी ड्राइवरों को अपना साथी मानते हैं और अपनी कमाई का 30% उनके साथ शेयर करते हैं.
ISRO में सात साल तक काम किया
एम.फिल और पीएचडी स्टेटिस्टिक्स में अर्जित करने वाले उथया कुमार को ISRO में अपनी ड्रीम जॉब मिली. ISRO में उनकी भूमिका उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए आवश्यक तरल ईंधन के लिए सटीक घनत्व सुनिश्चित करने पर केंद्रित थी. उथया कुमार ने सात साल तक अंतरिक्ष संगठन में काम किया और बाद में एक इंजीनियरिंग कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य किया.
2017 में शुरू किया टैक्सी बिजनेस
भारत के प्रतिष्ठित संगठनों में से एक के साथ काम करने के बाद उथया कुमार ने अपना खुद का रास्ता बनाने का फैसला किया. 2017 में, उन्होंने अपने माता-पिता सुकुमारन और तुलसी को श्रद्धांजलि के रूप में ST कैब्स नामक टैक्सी व्यवसाय शुरू किया. उनकी 37 कारों की स्टार्टअप सालाना 2 करोड़ रुपये की कमाई कर रही है.
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कुमार द्वारा सामना की गई चुनौतियां
उथया कुमार कर्मचारियों के लिए आवास सुविधाओं का निर्माण करने के लिए धन बचाते हैं जो प्रवासी श्रमिक हैं. इसके अलावा वह अपने होमटाउन में चार बच्चों के एजुकेशन खर्च भी वहन करते हैं. हालांकि, किसी भी बिजनेस के फाउंडर की तरह उथया को भी बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा खासकर COVID-19 महामारी के दौरान.
उथया कोविड महामारी के दौरान लंबी दूरी तय करने के लिए 'हजमैट सूट' पहनता था. यह सूट पूरे शरीर को ढक लेता है और व्यक्ति को डायरेक्ट कॉन्टैंट से बचाता है. लॉकडाउन अवधि के दौरान अपनी कंपनी को एक्टिव रखने के लिए उन्हें दक्षिण भारत से ओडिशा और कोलकाता यात्रा करनी पड़ी. हालांकि, उनके काम के प्रति अटूट समर्पण उन उद्यमियों के लिए एक उदाहरण के रूप में कार्य करता है जो दुनिया में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं.