अचानक समुद्र किनारे रेंगने लगे सैकड़ों कछुए, जिसने भी देखा रह गया दंग; जानिए आखिर क्या है वजह
Turtle Viral Video: पृथ्वी पर सबसे छोटे समुद्री कछुओं में से एक ओलिव रिडले जिन्हें लेपिडोचेली ओलिवेसिया (Lepidochelys olivacea) भी कहा जाता है. माना जाता है कि यह कछुआ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक हारी हुई लड़ाई लड़ सकता है.
सैकड़ों ओलिव रिडले कछुए (Olive Ridley Turtles) बुधवार एक जून को ओडिशा के रुशिकुल्या समुद्र तट पर रेत में दबे अपने घोंसलों से अंडे सेने के बाद समुद्र में अपना रास्ता बनाते हुए दिखाई दिए. पृथ्वी पर सबसे छोटे समुद्री कछुओं में से एक ओलिव रिडले जिन्हें लेपिडोचेली ओलिवेसिया (Lepidochelys olivacea) भी कहा जाता है. माना जाता है कि यह कछुआ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक हारी हुई लड़ाई लड़ सकता है. संरक्षण विशेषज्ञों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग और विभिन्न मौसम की घटनाओं से समय के साथ उनकी आबादी में गिरावट आ सकती है.
ओडिशा के इस समुद्र तट पर दिखाई दिए सैकड़ों कछुए
ओडिशा के रुशिकुल्या समुद्र तट दुनिया में कछुओं के सबसे बड़े घोंसले के शिकार स्थलों में से एक है. लगातार बाढ़ और चक्रवात से इन कमजोर समुद्री जीवों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है. ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल के कार्यवाहक निदेशक सुमंत बिंदुमाधव ने कहा, 'इस महीने की शुरुआत में 'आसनी' तूफान के दौरान लगभग 25 प्रतिशत अंडे बह गए.' हर साल ओडिशा के इन तीन समुद्र तटों में प्रति वर्ष लगभग 100,000 घोंसले पाए जाते हैं. ऐसे घोंसले कोस्टा रिका और मैक्सिको में भी पाए जाते हैं.
मौसम की घटनाओं के कारण कछुओं पर खतरा
बिंदुमाधव के अनुसार, मौसम की घटनाओं के बाद समुद्र तटों पर बहुत सारी रेत जमा हो जाती है, जिससे गहरा रेत में अंडे दफन हो जाते हैं. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर के अनुसार, हजारों में से केवल एक ही वयस्कता में आ पाता है क्योंकि समुद्र में कई अन्य खतरों का सामना करना पड़ता है. यदि मौसम की घटनाएं लगातार जारी रहती है तो यह अनुपात और भी खराब हो सकता है.
वरिष्ठ वैज्ञानिक सुरेश कुमार ने कहा कि ओलिव रिडले की आबादी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करने वाले स्टडी दुनिया भर में चल रही है. भारतीय वन्यजीव संस्थान के मुताबिक, यह आशंका है कि ज्वार-भाटा और चक्रवातों में वृद्धि से समुद्र तटों के पास कछुए की आबादी में गिरावट हो सकती है.