जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 17वें संस्करण का प्रीव्यू मंगलवार को दिल्ली के लीला पैलेस में हुआ. फेस्टिवल के प्रोड्यूसर टीमवर्क आर्ट्स ने इस प्रीव्यू में महोत्सव के मुख्य कार्यक्रमों और मेहमानों की झलक प्रस्तुत की. फेस्टिवल के 17वें संस्करण में 16 भारतीय और 8 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं का समावेश होगा. भारतीय भाषाओं में असमी, अवधी, बंजारा, बंगाली, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कुरुख, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, राजस्थानी, संस्कृत, तमिल और उर्दू शामिल हैं. इस इवेंट में देश-विदेश के 520 लेखक और कलाकार शामिल होने के लिए पहुंचेंगे. इनमें दादा साहेब फाल्के अवार्ड, बुकर, इंटरनेशनल बुकर, डीएससी प्राइज फॉर साउथ एशियन लिटरेचर, पुलित्जर, साहित्य अकादमी और जेसीबी प्राइज फॉर लिटरेचर से सम्मानित लेखक भी आएंगे.


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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में साहित्य-समीक्षा, फिक्शन, नॉन-फिक्शन, राजनीति और करंट अफेयर, इतिहास, अर्थशास्त्र, काव्य, कला और संस्कृति सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत होगी. जयपुर साहित्य महोत्सव की को-डायरेक्टर और प्रसिद्ध लेखिका नमिता गोखले ने कहा है कि महोत्सव अपनी बहुभाषी साहित्यिक विरासत को समर्पित है. उन्होंने कहा कि महोत्सव के 17वें संस्करण में 25 देशों के लेखक शामिल होंगे, जो 16 भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व करेंगे. इनमें मौखिक परंपरा भी शामिल है.


जयपुर साहित्य महोत्सव के को-डायरेक्टर और प्रसिद्ध इतिहासकार विलियम डेल रिम्पल ने कहा है कि महोत्सव हर साल नए आयाम स्थापित कर रहा है. उन्होंने कहा कि 2024 का महोत्सव अब तक का सबसे बेहतर साल होने जा रहा है. रिम्पल ने कहा कि महोत्सव दुनिया की श्रेष्ठ प्रतिभाओं को एक मंच प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि महोत्सव एक ऐसा मंच है जहां प्रत्येक क्षेत्र और धाराओं के लोग अपना मत व्यक्त करने को स्वतंत्र हैं.


जयपुर साहित्य महोत्सव के प्रोड्यूसर और टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के रॉय ने कहा है कि महोत्सव का उद्देश्य समावेशिता है. उन्होंने कहा कि महोत्सव ऐसे साहित्य को बढ़ावा देता है जो सबको जोड़ता है और वैश्विक स्तर पर संवाद को बढ़ावा देता है. रॉय ने कहा कि महोत्सव बहुलव, विविधता और बहुभाषावाद का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि महोत्सव में 24 से अधिक भाषाओं का प्रतिनिधित्व होगा.