Aeroplane Tyres: आप में से कई लोगों ने हवाई जहाज में यात्रा की होगी. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए शायद ही इससे तेज कोई और साधन हो. सुरक्षित और आरामदायक सफर के लिए लोग काफी वक्त पहले ही टिकट बुक करा लेते हैं. हवाई सफर की उत्सुकता हमेशा अलग ही होती है.


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बादलों को चीरते हुए जब प्लेन आगे बढ़ता है तो लोग विहंगम दृश्य को देखकर हैरान रह जाते हैं. विमान खुद में इंजीनियरिंग का एक नायाब नमूना है. इसलिए उड़ान से पहले इसकी एक-एक चीज चेक की जाती है. प्लेन की लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान पहियों का अहम रोल होता है. क्या आप जानते हैं कि प्लेन के टायरों में कौन सी गैस भरी जाती है. अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं.


प्लेन के टायरों में नाइट्रोजन गैस भरी जाती है. नाइट्रोजन एक ऐसी गैस है, जिसमें आग नहीं लगती. यह प्लेन के टायरों में आग लगने से बचाती है. नाइट्रोजन बेहद कम रिएक्टिव है, लिहाजा यह संक्षारक नहीं है.


स्टील और एल्युमिनियम पर यह ना तो जंग लगने देती है और ना ही खराब करती है. नाइट्रोजन हवा की तरह टायर को घिसता नहीं है और यह टायर में दबाव के नुकसान को कम करता है.


नाइट्रोजन फ्लइट के दौरान अनुभव किए जाने वाले हाई टेंपरेचर और दबाव के लिए उपयुक्त है. यह तापमान और दबाव में अत्यधिक परिवर्तन से होने वाले विस्तार और संकुचन को कम करता है.


नाइट्रोजन के मॉलिक्युल्स ऑक्सीजन के मॉलिक्युल्स से बड़े और कम पारगम्य होते हैं, इसलिए नाइट्रोजन से भरे टायर लंबे समय तक दबाव बनाए रखते हैं. इससे ईंधन दक्षता और टायर पहनने को बेहतर बनाने में मदद मिलती है.


एक प्लेन को टायर को इस तरह से बनाया जाता है कि वह बहुत भारी वजन भी झेल ले. विमान के लिए टायरों की संख्या प्लेन के वजन के साथ बढ़ जाती है, क्योंकि हवाई जहाज के वजन को ज्यादा समान रूप से बांटने की जरूरत पड़ती है. 


प्लेन के टायर आम तौर पर हाई प्रेशर पर काम करते हैं. विमानों के टायरों में एयर प्रेशर 200 psi तक और बिजनेस जेट के लिए इससे भी ज्यादा होता है.